भिवानी, 9 अक्टूबर: किसानों के मसीहा कहलाने वाले सर दीनबंधु छोटूराम भले ही 1945 में इस दुनिया से चले गए हो, परन्तु आज के युवा भी उनके द्वारा किए कार्यो को भली भांति जानते हैं और उनका आदर करते हैं।
भिवानी जिले से जुड़े युवाओं से जब इस बारे में पूछा गया कि क्या वो छोटूराम को जानते है तो युवा भले ही छोटूराम द्वारा अंग्रेजों के समय में किसानों के हितों में पास करवाए गए अधिनियमों के बारे में न जानते हो, परन्तु इन युवाओं ने यह जरूर कहा कि सर छोटूराम किसानों के मसीहा थे, जिन्होंने किसानों के हितों की लड़ाई लंबे समय तक लड़ी।
भिवानी के युवाओं (जितेंद्र, सुनील, सुमित) ने बताया कि सर छोटूराम ने किसानों के लिए ऐसे कानून बनवाएं, जिससे किसानों की जमींदारों के पास गिरवी पड़ी जमीनों को उन्हे फिर से बोने का हक मिला। उन्होंने बताया कि किसान व मजदूरों के लिए कानून बनाने के अलावा सर छोटूराम ने किसान-मजदूर वर्ग को जागरूक भी किया कि वे किस प्रकार अपने व अपने परिवार की आर्थिक व सामाजिक स्थिति को ऊंचा उठा सकते हैं। सर छोटूराम कभी झूठे मुकदमें नही लड़ते थे। वे छल-कपट से दूर रहते थे। गरीब किसानों का वे नि:शुल्क केस लड़ते थे।
बता दें, सर छोटूराम ने सन 1938 में साहूकार पंजीकरण एक्ट, कृषि उत्पादन मंडी अधिनियम, कर्जा माफी अधिनियम 1934, व्यवसाय श्रमिक अधिनियम 1940 बनवाने में अहम भूमिका निभाई थी, जिसके चलते कर्ज में फंसे किसानों एवं मजदूरों को अंग्रेजी शासनकाल में बड़ी राहत मिली थी।
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