सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सुनाया फैसला
नई दिल्ली, (डेस्क)। सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज अहम फैसला सुनाया। न्यायालय की संविधान पीठ ने कहा कि महिलाएं पुरुषों से किसी मामले में कम नहीं है। सबरीमाला मंदिर में सभी महिलाओं को प्रवेश मिलेगा। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि भगवान अयप्पा हिंदू थे, उनके भक्तों का अलग धर्म न बनाएं। भगवान से रिश्ते दैहिक नियमों से नहीं तय हो सकते। सभी भक्तों को मंदिर में जाने और पूजा करने का अधिकार है।
न्यायालय ने कहा, जब पुरुष मंदिर में जा सकते हैं तो औरतें भी पूजा करने जा सकती हैं। महिलाओं को मंदिर में पूजा करने से रोकना महिलाओं की गरिमा का अपमान है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, एक तरफ हम औरतों की पूजा करते हैं तो दूसरी तरफ हम उन पर बैन लगाते हैं। महिलाएं पुरुषों से किसी भी मामले में कम नहीं हैं। सबरीमाला के रिवाज हिंदू महिलाओं के खिलाफ हैं। दैहिक नियमों पर महिलाओं को रोकना एक तरह से छूआछूत है।
यह है पूरा मामला
सबरीमाला मंदिर में खासकर 15 साल से ऊपर की लड़कियां और महिलाएं नहीं जा सकतीं हैं। यहां सिर्फ छोटी बच्चियां और बूढ़ी महिलाएं ही प्रवेश कर सकती हैं। इसके पीछे मान्यता है कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे। सबरीमाला मंदिर में हर साल नवम्बर से जनवरी तक, श्रद्धालु अयप्पा भगवान के दर्शन के लिए जाते हैं, बाकि पूरे साल यह मंदिर आम भक्तों के लिए बंद रहता है। भगवान अयप्पा के भक्तों के लिए मकर संक्रांति का दिन बहुत खास होता है, इसीलिए उस दिन यहां सबसे ज्यादा भक्त पहुंचते हैं।