नई दिल्ली, (डेस्क)। केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण आधार कार्यक्रम और इससे जुड़े 2016 के कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए आधार कार्ड को संवैधानिक मान्यता दे दी है। जस्टिस एके सीकरी ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस खानविलकर की तरफ से फैसला पढ़ना शुरू किया। जस्टिस सीकरी ने कहा कि आधार देश में आम आदमी की पहचान बन गया है। जस्टिस सीकरी ने कहा कि आधार कार्ड और पहचान के बीच एक मौलिक अंतर है। बायोमैट्रिक जानकारी संग्रहीत होने के बाद यह सिस्टम में बनी हुई है। आधार से गरीबों को ताकत और पहचान मिली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार से समाज के एक वर्ग को ताकत मिली। आधार पर हमला संविधान के खिलाफ है। बेहतर होने से अच्छा कुछ अलग होना है, आधार अलग है। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, डाटा प्रोटेक्शन पर केंद्र कड़ा कानून बनाए। आधार में डाटा की सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था है।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा –
निजी कंपनियां आधार नहीं मांग सकतीं।
CBSE, NEET और UGC के लिए आधार जरूरी है।
स्कूलों में एडमिशन के लिए आधार जरूरी नहीं होगा।
आधार कार्ड को बैंक से लिंक करना जरूरी नहीं।
पैन कार्ड से लिंक करना जरूरी होगा।
मोबाइल सिम लेने के लिए आधार कार्ड देना जरूरी नहीं।
सरकारी योजनाओं के लाभ के लिए आधार अनिवार्य होगा।