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रेवाड़ी में आयुष विभाग की ओर से लगाया गया स्त्री रोग निवारण शिविर

रेवाड़ी, 1 सितम्बर : रेवाड़ी में शनिवार को आयुष विभाग द्वारा सेक्टर- 4 हुड्डा डिस्पैंसरी में नि:शुल्क स्त्री रोग एवं बन्धत्व रोग निवारण चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया। श्रीकृष्णा आयुर्वेद विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र के उपकुलपति डा. बलदेव धीमान ने इस शिविर में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। शिविर का शुभारम्भ रिबन काटकर व दीप प्रज्जवलित कर किया गया। वहीं इस दौरान पत्रकारों से बात करते हुए डॉ धीमान ने आयुर्वेद के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आयुर्वेद असाध्य रोगों का जड से निदान करने में समक्ष भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि शरीर में रोग जिस तेज गति से बढता है उसका ईलाज आयुर्वेद के माध्यम से करने पर रोग धीरे धीरे जड से खत्म हो जाता है। उन्होंने कहा कि आज के इस युग में खान पान में जो मिलावटी सामान आ रहे है वे हमारे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल रहे है। इन के दुष्प्रभाव से बचने के लिए मनुष्य को चाहिए कि वे सादा और सात्विक भोजन ग्रहण करें ताकि शरीर में रोग उत्पन्न न हो।

 

शिविर के माध्यम से डॉ धीमान ने विशेषकर युवा पीढी से आह्वान किया कि वे पिजा व बर्गर जैसी चीजों से अपने आप को बचाएं क्योंकि फास्ट फूड से बिमारियां अधिक होने की सम्भावना रहती है। उन्होंने कहा कि आयुष विभाग जिले में सराहनीय कार्य कर रहा है। समय-समय पर विभिन्न बिमारियों के नि:शुल्क कैम्प लगाकर लोगों की सेवा करना बहुत ही अच्छा कार्य है। यहां के लोगों में आयुष पद्धति में विश्वास है और लोगों को आयुर्वेद की अच्छी सुविधाएं उपलब्ध हो उसके लिए जिला स्तर पर आयुष विंग की स्थापना के लिए वे स्वयं जिला उपायुक्त से इस बारे में चर्चा करेगें ताकि जिले में एक अच्छी आयुष विंग की स्थापना हो सकें।

राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान की सहायक प्रोफेसर डा. हेतल दवे स्त्री रोग विशेषज्ञ ने रोगियों को आयुर्वेदिक दिनचर्या एवं रजस्वला चर्या का पालन करने के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि इनका पालन करने से काफी हद तक बन्धत्व की समस्या से निजात मिल सकती है। उन्होंने कहा कि हमें अपने स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए चाहिए कि हम अपनी पंसद से ज्यादा अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए अपना भोजन ग्रहण करें। उन्होंने कहा कि परम्परागत भोजन का चलन जो हमारे देश में है वह बहुत ही अच्छा है और हमें तासिर के अनुसार ही भोजन ग्रहण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भोजन हमेशा भूख के समय ग्रहण करें ताकि हमारे शरीर को पूरी उर्जा मिल सकें। उन्होंने कहा कि हमें पानी प्रर्याप्त मात्रा में लेना चाहिए तथा पानी को हमेशा घूंट-घूंट से पीना चाहिए और बैठकर ही पानी पीये।

उन्होंने बताया कि आयुर्वेद में दिनचर्या व ऋतुचर्या के हिसाब से रहन-सहन व खान पान करने से बिमारी नहीं होती। यदि गलत खान-पान व ऋतुचर्या के कारण जो रोग होता है तो उसका इलाज संभव है। उन्होंने कहा यदि मौसम के अनुसार हमारा खान-पान हो तो बिमारी होने की संभावना कम होती है। उन्होंने कहा कि जो बिमारियां आज है वे सैकडों वर्ष पहले भी होती थीं लेकिन आज गलत खान-पान व परहेज न करने के कारण बिमारियां बढ रही है। जिला आयुर्वेद अधिकारी डा. अजीत सिंह ने उपकुलपति एवं अन्य अतिथियों का स्वागत करते हुए विभाग की उपलब्धियों पर विस्तार से प्रकाश डाला और बताया कि आज के इस चिकित्सा शिविर में 170 रोगियों की जांच व उपचार किया गया है। इस अवसर पर डा. कोमल, डा. बाल योगेश्वर, डा. मुनीष यादव, डा. राकेश कुमार, डा. कृष्णा, डा.अनुराग यादव, डा. महेश, डा. राजीव, डा. मुनेश, डा. राजेश व डा मनोज भी उपस्थित थे।

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