सोहना, 1 सितम्बर(सतीश कुमार राघव): सोहना के पिपाका गांव के सुनसान जंगल में आर्फ़न इन नीड संस्था द्वारा खोले गए बाल आश्रम में जिला प्रशासन की गठित की गई 11 सदस्यीय टीम निरक्षण के लिए पहुंची। इस टीम ने क्लास रूम इमारत के अलावा आश्रम में रहने वाले बच्चों के रहन सहन व खान पान के और उनकी सुरक्षा का भी जायजा लिया।
जानकारी के अनुसार हरियाणा बाल विकास की अडिशनल डायरेक्टर ने अतिरिक्त उपायुक्त को उन्ही की देख रेख में 11 सदस्यीय टीम का गठन कर बाल अनाथालय में मिली खामियों के जाँच के आदेश दिए थे। लेकिन अतिरिक्त उपायुक्त महोदय ने बाल आश्रम की जाँच के लिए उन्ही लोगों को इस टीम में शामिल कर लिया, जिनको बर्खास्त करने व कमेटी को भंग करने की सिफारिश की गई थी।
अब आप सोच सकते हैं कि ऐसे लोगों को टीम में शामिल कर जांच की जा रही है जिनको बाल अधिकार संरक्षण आयोग की चेयरपर्शन व महिला एवं बाल विकास अधिकारी की अडिशनल डायरेक्टर एवं बाल अधिकार के सदस्य दोषी ठहरा चुके हो और सीडब्लूसी को भंग करने की सिफारिश भी कर चुके हो तो आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि क्या यह जांच निष्पक्ष हो पाएगी।
बता दें 16 जुलाई को बाल अधिकार संरक्षण आयोग की चेयरपर्सन ज्योति बेदा इस बाल अनाथालय में निरक्षण के लिए आई थी। पानी जाँच के दौरान उन्होंने अनाथालय के अंदर एक बड़ा तयखाना देखा। वहीं दूसरे जिले पलवल से लाये गए कुछ बच्चों का तो रिकार्ड तक ही नही मिला इसके अलावा यहां पर सिर्फ एक धर्म के बच्चे ही मिले यानी कि इस अनाथालय में करीब दर्जनभर खामियां पाई गई थी। जिसकी रिपोर्ट उन्होंने सरकार को सौंप दी। रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए सरकार ने महिला एवं बालविकास के अडिशनल को यह रिपोर्ट सौपते हुए जांच एवं कार्यवाही के आदेश दिए थे। लेकिन अडिशनल डायरेक्टर डॉ सरिता मालिक ने रिपोर्ट पर कार्यवाही करने के लिए अतिरिक्त उपायुक्त को 11सदस्यीय टीम गठित कर मौके का मुआयना कर रिपोर्ट देने के आदेश दिए…जिसे लेकर आज वो लोग भी जाँच में शामिल हुए जिनको दोषी माना गया था और कमेटी को भंग करने के आदेश दिए गए थे।