नई दिल्ली, (ब्यूरो)। ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं चाहते कि दिल्ली सरकार का काम किसी अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पहुंचे।’ यह आरोप दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर लगाया है। सिसोदिया ने कहा, मुझे विश्व शिक्षा सम्मेलन, मॉस्को में दिल्ली में शिक्षा के सुधार के बारे में बात करने के लिए आमंत्रित किया गया था। मुझे आज रात रवाना होना था, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत सरकार ने अनुमति नहीं दी। यह पिछले 10 दिनों से प्रक्रिया में उलझा हुआ है। उन्होंने कहा, पिछले कुछ महीनों से दिल्ली के शिक्षा सुधारों को अंतर्राष्ट्रीय प्रेस में कवरेज मिल रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रधानमंत्री मोदी नहीं चाहते हैं कि यह अंतर्राष्ट्रीय मंच तक पहुंच पाए। सिसोदिया ने कहा, दिल्ली भी भारत का हिस्सा है। अगर हमारे स्कूलों को अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिलती है, तो यह भारत के लिए गर्व का विषय है।
गौरतलब है कि केंद्र और दिल्ली सरकार में टकराव के हालात हमेशा बने रहते हैं। दिल्ली सरकार हमेशा से आरोप लगाती रही है कि अफसर केंद्र सरकार के इशारे पर काम करते हैं। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आरोप लगाया था कि दिल्ली में अधिकारियों के स्थानांतरण और नियुक्ति करने के अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को वरिष्ठ नौकरशाहों द्वारा मानने से इनकार करना न्यायालय की अवमानना के समान है। यहां पत्रकारों को संबोधित करते हुए सिसोदिया ने कहा कि सरकार अब इस मामले में कानूनी सलाह ले रही है। उन्होंने कहा, मुख्य सचिव ने मुझे पत्र लिखकर कहा है कि सेवा विभाग अदालत के आदेश का पालन नहीं करेगा। इससे अधिकारियों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा, अगर वे आदेश का पालन नहीं करेंगे। अदालत के आदेश के बाद भी, उप राज्यपाल सेवा विभाग की फाइल को देखने के लिए अगर जोर डालते हैं तो यह अदालत की अवमानना होगी। उन्होंने कहा, हम इस पर अपने वकीलों से बात कर रहे हैं कि क्या किया जा सकता है।