जहाँ एक ओर सरकार पर्यावरण सरक्षण को लेकर वनमौहत्सव, पौधागिरी और वृक्षारोपण जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से पर्यावरण को दुरुस्त करने में लगी है। वहीं दूसरी और करनाल में स्थित पार्कों की दशा सोचनीय होती जा रही है। एक ओर देखरेख के अभाव में पार्को की हरियाली गुम होती जा रही है। आगे दौड़ पीछे छोड़ की कहावत यहाँ सार्थक होती नजर आ रही है। वहीं दूसरी ओर नगर निगम करनाल इन पार्को के रखरखाव के नाम पर हर महीने लाखों रुपये खर्च करता है और यह रूपये रेजिडेंस वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा पार्को पर खर्च करने होते है लेकिन कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार के चलते इन पार्कों का पूरी तरह से खयाल नहीं रखा जा रहा। जिसकी वजह से इन पार्कों की हालत दिन बा दिन खस्ता होती जा रही है जोकि लोगों के लिए समस्या का कारण बना हुआ है। बता दें पार्को में सेक्टर के कई लोग सैर सपाटे के लिए आते हैं और कई लोग प्रकृति को नजदीक से निहारने आते है। अब यहां फैली गंदगी और असुविधाओं के कारण लोगों ने शहर में बने इन पार्कों से दूरी बनाई हुई है। पार्कों में उगी बड़ी बड़ी घास व् लम्बी लम्बी झाड़ियों के कारण पेरेंट्स अपने बच्चों को पार्को में भेजने से डरते है।
पार्क की सुंदरता अब खत्म होने की कगार पर है, इसकी दशा सुधारने की जिम्मेदारी नगर निगम व् आर रेजिडेंस वेलफेयर एसोसिएशन की होती है लेकिन यहाँ तो पार्को के उजड़ने का इंतजार हो रहा है।
पार्को में सफाई का भी अभाव बना हुआ है। कूड़े के बड़े-बड़े ढेर लगे हैं। बरसात के दिनों में पानी भरने से इससे आती बदबू आस-पास से गुजरने वाले लोगों को नाक बंद करने पर मजबूर कर देती है। यह स्थिति पार्को में सभी जगह है। पार्को को मेंटेन रखने और साफ-सफाई के लिए स्थानीय निवासी अपने पैसे इक्कट्ठे कर पार्को की थोड़ी बहुत देख रेख कर रहे है ! लोगो का आरोप है कि यहां पर सफाई के नाम पर सिर्फ खाना-पूर्ति होती है। गंदगी के कारण अब लोगों ने पार्क से दूरी बना ली है।इसके साथ साथ पार्को में लगी जिम करने वाले मशीने भी कुछ टूट गई है और कुछ मशीनों में आवाजे आ रही।