श्रावण मास की शिवरात्रि पर देशभर में शिवलिंग का जलाभिषेक करने के लिए श्रद्धालुओं का ताँता लगा हुआ है। वहीं शिवरात्रि के पावन अवसर पर ही हरिद्वार और गौमुख से गंगाजल लेकर आने वाले कावड़िए आज के दिन ही शिव का जलाभिषेक करते हैं। वहीं छोटी काशी के नाम से मशहूर भिवानी में सावन माह की शिवरात्रि पर हनुमान जोहड़ी मन्दिर धाम में शिव भक्तों ने भी हरिद्वार से गंगाजल लाकर शिवलिंग का जलाभिषेक किया तो व्रत रखने वाली महिलाओं ने भी भगवान शिव की पूजा अर्चना की। मन्दिरों में शिवभक्तों की कतारें देखने को मिली और पूरा वातावरण शिव भगवान के जयकारों से भक्तिमय हो गया।
मंदिर के महंत चरणनदास महाराज सहित श्रद्धालुओं का कहना था कि सावन माह की शिवरात्रि को शिवलिंग पर जलाभिषेक का खास महत्त्व है। उनका कहना था कि जलाभिषेक के साथ शिव आराध्रना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। चरणदास महाराज ने बताया कि सावन का पवित्र महीना 28 जुलाई से शुरू हो चुका है और सावन के पहले सोमवार से शिवालय पर शिव पूजा जारी है।
आज उन्होंने भी स्वच्छ गंगा अभियान के तहत हरिद्वार से गंगाजल लाकर शिवालय में शिवलिंग पर चढ़ाया है।कहा कि महादेव को सावन का महीना बहुत प्रिय होता है। सावन के दिनों में भगवान शंकर की पूजा करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है। शिव को शमी के पत्ते पसंद होते हैं इसलिए सावन के हर दिन शिवलिंग पर शमी के पत्ते जरूर चढ़ाएं। सावन के महीने में शिवलिंग पर जल चढ़ाने से पहले सूर्य देव को जल चढ़ाएं इसके बाद शिवमंदिर जाकर तांबे के पात्र में गंगाजल में सफेद चंदन मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाए। शिवजी को धतूरा भी काफी पसंद होता है इसलिए शिवजी की कृपा पाने के लिए इसे जरूर चढ़ाएं। कहा कि भगवान को कुमकुम न चढ़ाएं यह सौभाग्य का प्रतीक है जबकि भगवान शिव वैरागी हैं इसलिए शिव जी को कुमकुम नहीं चढ़ता।