पचकुला, 2 अगस्त : पंचकूला हिंसा मामले में पुलिस कमिश्नर चारु बाली का बड़ा बयान कहा सबूतों को लेकर पुलिस और कोर्ट के मापदंड में फर्क होता है। उन्होंने कहा कि पुलिस का काम जांच करना है।
उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि पुलिस द्वारा कोर्ट में प्रस्तुत किये गए सबूतों और कोर्ट द्वारा सबूतों को स्वीकार किये जाने में जब भी अंतर रहेगा तो केस में सबूतों का अभाव होगा ही। उन्होंने कहा कि पुलिस अभी इन मामलों को एग्जामिन कर रही है कि कमी कहाँ रही है। उन्होंने कहा कि कोर्ट हमेशा सबूतों को बारीकी से देखती है।
काबिलेज़िक्र है कि कोर्ट ने अपने विस्तृत फैसले में पुलिस के लापरवाहीपूर्ण रवैये का जीकर किया है।
‘जांच अिधकारी ने जांच के दौरान लापरवाहीपूर्ण रवैया अपनाया’, यह बात पंचकूला जिला एवं सत्र न्यायाधीश ऋतु टैगोर ने पिछले साल 25 अगस्त को पंचकूला हिंसा के मामले में 6 डेरा प्रेमियों को बरी करने के दौरान अपने विस्तृत फैसले में कही थी।
गौरतलब है कि 30 जुलाई को जज ने 6 व्यक्तियों होशियार सिंह कैथल , रामकिशन करनाल, रवि कुमार मुक्तसर, सांगा सिंह, ज्ञानीराम एवं तरसेम संगरूर (पंजाब) को बरी कर दिया था। इस बारे में विस्तृत निर्णय आज उपलब्ध करवाया गया।
डेरा हिंसा मामले में यह दूसरा केस था जो पंचकूला कोर्ट में धराशायी हो गया। छह डेरा प्रेमियों को बरी करते हुए कोर्ट का कहना था कि जांच अधिकारी की आम जनता के केस में न जुड़ने संबंधी साधारण-सी टिप्पणी दर्शाती है कि उन्होंने आमजन के केस से जुड़ने के महत्व को पूरी तरह से अनदेखा किया और जांच में लापरवाहीपूर्ण रवैया अपनाया।
जज ने आगे कहा कि इससे यह स्पष्ट होता है कि अभियोजन पक्ष ने संदेहों से परे कोई भी अच्छे और विश्वसनीय तथ्य नहीं पेश किये जिससे कि आरोपियों पर मामला साबित हो पाता। यह सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देने का बिल्कुल सही मामला बनता है और उनको भी लाभ देते हुए मैं आरोपों से मुक्त कर दूंगी।