चंडीगढ,9 सितम्बर। हरियाणा के सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा के सच को उजागर करने वाले पत्रकार रामचन्द्र छत्रपति की हत्या की सीबीआई जांच को रोकने का पंजाब के मौजूदा मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह की पत्नी परणीत कौर और उनके समर्थकों ने काफी प्रयास किए लेकिन सीबीआई अफसरों ने ईमानदारी से जांच को पूरा किया।
यह कहानी दिवंगत पत्रकार के पुत्र अंशुल छत्रपति ने शुक्रवार को यहां मीडिया के सामने रखी। अंशुल ने बताया कि परणीत कौर उनके पिता की हत्या के
मामले की जांच को रोकने के लिए कांग्रेस विधायकों के साथ दिल्ली पहुंची थी। इसके बाद भी जब सीबीआई टीम सिरसा पहुंची तो जांच को प्रभावित करने के
लिए कैप्टेन अमरिंदर सिंह के तत्कालीन ओएसडी चहल और डेरा प्रमुख के पुत्र के ससुर कांग्रेस नेता उसे प्रभावित करने के लिए रेस्ट हाउस पहुंचे थे लेकिन बात बनी नहीं और सीबीआई ने अपने दायित्व को ईमानदारी से अंजाम दिया। आाखिर में सीबीआई ने जांच पूरी का अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया।
अंशुल ने बताया कि इस मामले में हरियाणा पुलिस जांच पूरी कर आरोपपत्र दाखिल कर चुकी थी। कुछ वकील शुभचिंतकों की सलाह से सीबीआई जांच के लिए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने का फैसला किया गया। याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार और सीबीआई की ओर से दलील दी गई थी कि मामले में पुलिस जांच कर आरोपपत्र दाखिल कर चुकी है इसलिए सीबीआई जांच की जरूरत नहीं है। इस पर हाईकोर्ट ने उन्हें हरियाणा के पुलिस महानिदेशक से मिलने के निर्देश दिए। हमने निर्देशों की पालना की और जब पुलिस महानिदेशक के सहायक द्वारा कोई सुनवाई करने से इनकार कर दिया गया तो वापस हाईकोर्ट में यह बात रखी गई। इस पर हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई जांच रूकवाने की याचिका दाखिल की गई लेकिन न्याय ने अपना प्रभाव दिखाया।
उन्होंने बताया कि जब सीबीआई जांच शुरू हो गई तो जांच अफसरों को प्रभावित करने का प्रयास किया गया। केप्टेन अमरिंदर सिंह की पत्नी परणीत कौर विधायको को लेकर जांच रोकने दिल्ली पहुंच गईं। जब सफलता नहीं मिली तो गुरमीत राम रहीम ने सत्संग के नाम पर दिल्ली में अपने हजारों समर्थकों की भीड जमाकर सरकार पर दवाब बनाने का प्रयास किया।
आखिर में जब सीबीआई टीम जांच करने सिरसा पहुंच गई तो कैप्टेन अमरिंदर सिंह के तत्कलीन ओएसडी चहल और गुरमीत राम रहीम के पुत्र के ससुर कांग्रेस नेता सीबीआई टीम को प्रभावित करने पहुंच गए। लेकिन सीबीआई ने ईमानदारी से जांच की। वे सीबीआई के अधिकारी सतीश डागर व सतपाल सिंह को तहेदिल से सलाम करते है।
अंशुल ने बताया कि एक बार पत्रकारों ने डेरा के समाचारों के बायकाट का फैसला किया था लेकिन यह फैसला अधिक दिन लागू नहीं रह सका। सभी पत्रकारों ने एक-एक कर अपनी नौकरी बचाने का हवाला देकर डेरा के समाचार छापने शुरू कर दिए।
उल्लेखनीय है कि पत्रकार रामचन्द्र छत्रपति ने अपने सांध्यकालीन समाचारपत्र पूरा सच में डेरा की आपत्तिजनक गतिविधियों के समाचार प्रकाशित किए थे। इसके बाद उनकी हत्या कर दी गई थी।