चंडीगढ़,18 जून। हम इस समय जो आपको तस्वीर दिखा रहे हैं कहने को तो यह एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। मगर यह तस्वीर आपको यह सोचने पर मजबूर कर देगी कि वाकई यह हवाई अड्डा है या कोई सब्जी मंडी। हम इस हवाई अड्डे को सब्जी मंडी का नाम इसलिए दे रहे हैं क्योंकि जिस तरीके से सब्जी मंडी में सब्जी बेचने वाले अपने ग्राहकों को आवाज लगा कर बुलाते हैं वैसे ही इस हवाई अड्डे पर इस तरह की आवाजें आम सुनाई देती हैं और यही आवाज हमारे कैमरे में भी कैद हुई। एक बार आप सुनिए आपने यह आवाजें तो सुनी होगी और शायद कुछ मामला आपकी समझ में भी आ गया हो।
यह चंडीगढ़ का अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है जिसको बनाने का श्रेय कभी हरियाणा लेता है तो कभी पंजाब लेता है, कभी इसके नाम पर विवाद चल जाता है। लेकिन यहां की सुरक्षा तो सिर्फ राम भरोसे ही रहती है। ऐसा नहीं है कि केंद्र सरकार ने इस हवाई अड्डे की सुरक्षा के लिए कोई अलग से नियम बनाए हो या सुरक्षा में कुछ भी हो लेकिन इस हवाई अड्डे के अधिकारी संघ टैक्सी वालों पर इस तरीके से मेहरबान हो चुके हैं कि अब यह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा हवाई अड्डा कम और सब्जी मंडी ज्यादा लगता है।
दरअसल मामला चंडीगढ़ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का है जहां पर केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने वैसे तो सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए कुछ निजी कंपनियों को टैक्सियों के टेंडर दिए हुए हैं और वक्त पर रिमाइंडर भी दिए गए। कम्पनियां मोटी रकम देकर यह टेंडर ले आई लेकिन अब उन कंपनियों की सुनने वाला कोई नहीं है। आलम तो यह है कि जो लोग मीटिंग के माध्यम से टेंडर लेकर आए थे वह अपनी शिकायत पुलिस से लेकर हवाई अड्डे के सीईओ तक को दर्ज करवा चुके हैं। मगर लगता है कि हवाई अड्डे की सुरक्षा और रखरखाव का जिम्मा जिन कंधों पर है वह या तो राजनीतिक रसूख या फिर सुविधा शुल्क के चलते मौन बैठे हैं। यह हमें इसलिए भी कहना पड़ रहा है क्योंकि जब किस कंपनी ने टेंडर लिया उस कंपनी के मालिक ने कई बार अपनी शिकायत सीईओ सुनील दत्त तक पहुंचाई तो उन्होंने एक्शन लेना तो दूर संबंधित कंपनी कि ईमेल का रिप्लाई भी नहीं दिया