दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-8) पर हर साल होने वाली दुर्घटनाओं में सैकड़ों लोगों की मौत हो जाती है। गुरुग्राम पुलिस की माने तो नेशनल हाइवे नम्बर-8 पर 17 प्वांइट ऐसे हैं जो दुर्घटना के लिहाज से बहुत ही संवेदनशील हैं। इन 17 प्वाइंटों में से 11 तो अकेले साउथ जोन में हैं। साउथ जोन में आने वाले आठ थाना क्षेत्रों में ही हर साल सैकड़ों लोगों की मौत हो जाती है। यह अब डेंजर जोन बनता जा रहा है। जिले में वर्ष 2006 से नवंबर 2017 तक करीब 5 हजार लोग सड़क दुर्घटना के शिकार हुए। वहीं आठ हजार से अधिक लोग घायल हो गए। अब गुरुग्राम पुलिस ने सभी थाना प्रभारियों के लिए फैटल एक्सीडेंट में 25 फीसद कमी लाने का लक्ष्य तय किया है।
इसके लिए ट्रैफिक पुलिस कई एक्शन प्लान पर अमल कर रही है। इस एक्शन प्लान में हीरो होंडा चौक, फाजिलपुर चौक, साउथ सिटी मोड़, ज्वाला कंपनी मोड़, हनुमान मंदिर के पास कट, हुड्डा सिटी सेंटर चौक पर कुछ प्रयोग किए गए हैं। नेशनल हाइवे पर कुछ प्रयोग किए गए लेकिन सफलता नहीं मिली। इफ्को चौक पर एमजी रोड से य-ूटर्न, राजीव चौक पर सोहना रोड की ओर यू-टर्न, हीरो होंडा चौक पर सुभाष चौक की ओर डायवर्जन जैसे प्रयोग किए गए लेकिन वे असफल रहे। इस साल कम हुए हादसे सड़क हादसों में लगातार शिकार हो रहे लोगों की सुरक्षा के लिए गुरुग्राम पुलिस ने नेशनल हाइवे सहित नये और पुराने गुरुग्राम में भी कई अभियान चलाए।
गुरुग्राम पुलिस आयुक्त का पद भार संभालते ही सबसे पहले यहां की यातायात व्यवस्था को सही करने का अभियान चलाया। सड़क हादसों में कमी हो इसके लिए थाना प्रभारियों के साथ साथ गैरसरकारी संस्थाओं को हर संभव प्रयास करने का निर्देश दिया। इसके अलावा ट्रैफिक पुलिस नए भर्ती ट्रैफिक कर्मियों को ट्रेनिग देकर भी प्राथमिकता के आधार पर सड़क हादसों में कमी लाने का प्रयास कर रही है।
हालांकि बीते वर्षों की तुलना में इस वर्ष हादसों में कमी जरूर हुई है लेकिन मात्र 6 महीनों में 512 लोगो की कीमती जान जाना भी दुखद है ऐसे में गुरुग्राम पुलिस इन हादसों पर कब लगाम लगाती है या इन्हें रोकने में कितना सफल होती है यह तो आने वाला समय ही बताएगा |