पंचकूला, 7 जून: डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की सबसे बड़ी राजदार हनीप्रीत को पंचकूला सेशन कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने हनीप्रीत की जमानत याचिका खारिज कर दी है। हनीप्रीत ने सेशन कोर्ट में जमानत याचिका डाली थी। जिस पर बीते दिन मंगलवार को सुनवाई हुई और कोर्ट ने आज अपना फैसला सुनाने के लिए सुरक्षित रख लिया था।
हनीप्रीत ने कोर्ट में महिला होने की दलील दी थी। उसने कहा था कि मैं एक महिला हूं और 25 अगस्त 2017 को पंचकूला में जब हिंसा हो रही थी, तब मैं डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के साथ थी। डेरा प्रमुख को सजा होने के बाद मैं राम रहीम के साथ पंचकूला से सीधा सुनारिया जेल रोहतक चली गई थी। हिंसा में मेरा कहीं कोई रोल नहीं है। मेरा नाम बाद में एफआईआर में डाला गया है। हनीप्रीत ने कहा कि मुझे पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया बल्कि मैं खुद 3 अक्तूबर 2017 को आत्मसमर्पण करने के लिए आ गई थी। जब इस एफआइआर नंबर 345 के अन्य 15 आरोपियों को जमानत मिल चुकी है तो 245 दिन जेल में रहने के बाद मैं भी जमानत की हकदार हूं इसलिए महिला होने के चलते मुझे रियायत दी जानी चाहिए।
हनीप्रीत के वकील ने लगाई गई जमानत याचिका में बहस करते हुए दलील दी थी कि हनीप्रीत को जबरन मामले में फंसाया जा रहा है। हनीप्रीत से पुलिस द्वारा कोई रिकवरी नहीं की गई, न ही कोई ऐसा सामान रिकवर हुआ जो हिंसा के लिए प्रयोग किया गया हो। उसका नाम भी एफआइआर में बाद जोड़ दिया गया।
वहीं पंचकूला पुलिस ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि हनीप्रीत इस हिंसा और देशद्रोह की मुख्य षडयंत्रकर्ता है। इस हिंसा में बड़े स्तर पर जनता का नुकसान हुआ है। 40 लोगों की हत्याएं हुई हैं, जोकि इनके षड्यंत्र से हुई है। जिसका विरोध करते हुए बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि जब इन्हीं आरोपों में 15 लोगों को जमानत मिल चुकी है तो हनीप्रीत को क्यों ना जमानत दी जाए?