नई दिल्ली, 15 मई : साल 1988 के रोडरेज मामले पर आज सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए पंजाब के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को जानबूझकर चोट पहुंचाने का दोषी ठहराते हुए 1000 रुपये का जुर्माना लगाया है। जुर्माने की राशि भरने के बाद सिद्धू को जेल नहीं जाना होगा।
इस मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सिद्धू को तीन साल की कैद की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट द्वारा सजा का ऐलान किए जाने के बाद सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
क्या है पूरा मामला
अभियोजन के अनुसार सिद्धू और रुपिंदर सिंह संधू 27 दिसंबर, 1988 को पटियाला में शेरनवाला गेट चौरोह के पास सड़क के बीच में कथित रुप से खड़ी जिप्सी में थे। उसी समय गुरनाम सिंह और दो अन्य पैसे निकालने के लिए मारुति कार से बैंक जा रहे थे। गुरनाम ने सिद्धू और संधू से जिप्सी हटाने को कहा, इस पर दोनों पक्षों में कहासुनी हो गई। सिद्धू ने सिंह को बुरी तरह पीटा और अस्पताल में उनकी मौत हो गई।
पंजाब सरकार की ओर से उपस्थित वकील सनराम सिंह सरों ने 30 साल पुराने मामले में सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ के समक्ष कहा कि साक्ष्य के अनुसार सिद्धू द्वारा मुक्का मारने से पटियाला निवासी गुरनाम सिंह की मौत हो गई थी। सरकार ने कहा कि निचली अदालत का यह निष्कर्ष गलत था कि सिंह की मौत ब्रेन हैमरेज से नहीं, बल्कि हृदय गति रुकने से हुई थी। इसने कहा कि इस बारे में एक भी सबूत नहीं है जिससे यह पता चले कि मौत की वजह दिल का दौरा था, न कि ब्रेन हैमरेज. पंजाब सरकार के वकील ने कहा, ‘निचली अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय ने सही निरस्त किया था. आरोपी ए 1 ( नवजोत सिंह सिद्धू ) ने गुरनाम सिंह को मुक्का मारा था जिससे ब्रेन हैमरेज हुआ और उसकी मौत हो गई.’