कहते हैं अपने वतन की मिट्टी में गजब की कसक होती है। इंसान कहीं भी चला जाये अपनी मिट्टी और अपने देश को नहीं भूलता। विदेश में रहते हुए भी अपने वतन के लोगों के लिए कुछ कर गुजरने का मौका मिल जाए तो इससे बड़ी खुशी की बात शायद ही कोई हो। जी हां, आपको ऐसे ही एक एनआरआई की कहानी बताने जा रहे हैं जिन्होंने अमेरिका में रहते हुए भारत में कैंसर से जूझ रहे मरीजों के लिए कुछ करने की ठानी और सफलता भी हासिल की।
अमेरिका में रहे रहे 40 वर्षीय रवि बंसल ने भारत में कैंसर से जूझती अपनी भाभी की मृत्यु के बाद कैंसर के मरीजों के लिए कुछ करने की ठानी और अम्बाला रोटरी कैंसर हॉस्पिटल के लिए पैसे इकठ्ठे करने शुरू किए ताकि यहां आने वाले मरीजों के लिए बेहतर मशीनें और उम्दा डाक्टरों की व्यवस्था की जा सके। इस जानलेवा बीमारी से जुंझ रहे मरीजों के लिए कुछ कर गुजरने की इच्छा लिए रवि जहां भी जाते वहां अम्बाला के रोटरी अस्पताल की मानवसेवा की चर्चा जरूर करते। रवि के प्रयास रंग लाये और अमेरिका में रह रहे लोगों ने उन्हें अस्पताल के लिए आर्थिक मदद देनी शुरू कर दी जिसका सिलसिला आज भी बदस्तूर जारी है। रोटरी अस्पताल से जुड़े लोग जिनमें रवि के बड़े भाई सुभाष बंसल भी हैं उन्होंने बताया हैं कि रवि बंसल अपने तौर पर अभी तक अस्पताल के लिए लगभग 2 करोड़ रुपयों का अनुदान जुटा चुके हैं जिससे अस्पताल में बहुत काम हो रहा है और जल्दी ही यहां एमआरआई मशीन भी लगने वाली है।
रवि बंसल की असली प्रेरणा उनकी डाक्टर पत्नी प्रतिभा बंसल हैं जो खुद अमेरिका में पेन मैनेजमेंट की स्पेशलिस्ट हैं। रवि और प्रतिभा जब भी भारत आते हैं तो वो अपना ज्यादतर समय रोटरी अस्पताल और लोगों को कैंसर के प्रति जागरूक करने में देते हैं। रोटरी अस्पताल की ओर से कैंसर के गंभीर रोगियों के लिए चलाया जा रहा स्नेह स्पर्श प्रोजेक्ट भी प्रतिभा बंसल और रवि बंसल के दिमागी तरकश से निकला हुआ ब्रह्मास्त्र रूपी तीर है जो बखूबी अपने काम को अंजाम दे रहा है।