एक ओर हरियाणा सरकार ने एक अप्रैल से मंडियों में आने वाले किसानों के (गेहूं) की खरीद का एलान किया था लेकिन मौसम विभाग की 6 अप्रैल से 8 अप्रैल तक बरसात की चेतावनी से डरे किसानों ने लक्कड़ के क्रेट और तिरपाल की कमी को भांपते हुए मंडी में गेहूं लाना मुनासिब नहीं समझा था। और अब जब किसान केंट जीटी रोड पर बनी अनाज मंडी में अपनी फसल लेकर आये तो सुबह से पड़ रही बरसात ने उनके माथे पर पसीना ला दिया। बरसात के कारण मंडी के शैड के नीचे पड़े सरकारी बारदाने और खड़े किये ट्रक की वजह से किसानों को अपनी फसल खुले में ही रखनी पड़ी और बरसात के कारण किसानों की सारी गेहूं भीग गई।
किसानों का कहना है कि वैसे भी खरीद एजंसियां गेहूं खरीद तब करती है जब उसमे नरमाई 12 फीसदी हो लेकिन अब बरसात में भीगने से उनके गेहूं में नमी की मात्रा बढ़ गई है। इसलिए अब वो अपनी फसल वापिस घर ले जाकर और धुप निकलने पर सूखा कर वापिस लाएंगे। वहीं किसानों का कहना है कि सरकार और खरीद एजंसियां किसान का पूरा गेहूं खरीदने के झूठे दावे तो बहुत करती हैं लेकिन थोड़ी से नमी बढ़ने पर खरीद से मना कर देती हैं।
वहीँ उनका ये भी कहना है कि केंद्र ने “किसान फसल बीमा योजना” चला रखी है बैंक उसकी बीमा 500 प्रति एकड़ की राशि उनके खाते से निकाल लेती है लेकिन अकेले किसान की फसल तबाह होने पर भरपाई नहीं देती। किसानों ने बताया कि जब तक पुरे गॉव की फसल का सत्यानाश न हो जाये तब तक किसी किसान को फसल नुक्सान की भरपाई नहीं दी जाती।