आज है देश के भारत रत्न से सम्मानित शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्ला खां का 102 वाँ जन्मदिन। बिस्मिल्ला खां ने संगीत के अन्य वाद्य यंत्रों की तरह शहनाई वादन को देश में एक अलग पहचान दिलाई। जानते है उनके बारे में कुछ दिलचस्प बातें :
बिहार के डुमरांव गांव के भिरंग राउत की गली नामक मोहल्ले में मुस्लिम परिवार जन्मे बिस्मिल्ला खां का असली नाम क़मरुद्दीन था।
दादा रसूल बख्श के कहने पर घरवालों ने उनका नाम क़मरुद्दीन से बिस्मिल्ला रखा जिसका मतलब है “अच्छी शुरुआत या श्रीगणेश”
6 साल की उम्र में ही बिस्मिल्ला शहनाई सिखने बनारस चले गए जहाँ उन्होंने अपने चाचा से इस शहनाई वादन में महारत हासिल की।
मुस्लिम होने किए बाबजूद भी बिस्मिल्ला खां काशी विश्वनाथ मंदिर में जाकर शहनाई बजाया करते थे।
देश के संगीत रत्नों में से बिस्मिल्ला खां वो कलाकार है जिन्होंने आज़ादी के मौके पर 1947 में लाल किले में शहनाई बजाई।
कार्डियक बीमारी की वजह से उस्ताद 21 अगस्त 2006 को दुनिया को छोड़कर चले गए।
संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने उनके निधन को राष्ट्रीय शोक घोषित किया था और 21 तोपों की सलामी भी दी।