Friday , 20 September 2024

हरियाणा में कर्ज की दर घटी और बजट उपयोग दर बढी

चंडीगढ,14मार्च। हरियाणा विधानसभा में  वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने प्रदेश की भाजपा सरकार के साढे तीन साल के बजट प्रबन्धन को पिछली कांग्रेस सरकार की तुलना में बेहतर करार दिया। उन्होंने इस बेहतरी को साबित करने के लिए कहा कि विपक्ष की सरकारों के दौरान रही कर्ज बढोतरी दर घटी है और बजट उपयोग की दर बढी है। साथ ही प्रति व्यक्ति आय बढी है। चंडीगढ,14मार्च। हरियाणा विधानसभा में  वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने प्रदेश की भाजपा सरकार के साढे तीन साल के बजट प्रबन्धन को पिछली कांग्रेस सरकार की तुलना में बेहतर करार दिया। उन्होंने इस बेहतरी को साबित करने के लिए कहा कि विपक्ष की सरकारों के दौरान रही कर्ज बढोतरी दर घटी है और बजट उपयोग की दर बढी है। साथ ही प्रति व्यक्ति आय बढी है।
वर्ष 2018-19 के प्रदेश के बजट पर सदन में हुई चर्चा के जवाब में बुधवार शाम वित्त मंत्री ने कहा कि पिछली सरकार के कार्यकाल में जो कर्ज लिया था वो सालाना लगातार बढ़ा जबकि मौजूदा सरकार में कर्ज लेने की दर घटी है।‌ उन्होंने कहा कि बजट का 94 फीसदी उपयोग 2016-17 में  हुआ है।

वित्त मंत्री ने विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि वर्तमान सरकार में कर्ज लेने की दर घटी है। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार में कर्ज तेज गति से बढ़ा। पूर्व की सरकार 70 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज प्रदेश पर छोड़ कर गई थी और इसके अलावा 26 हजार करोड़ बिजली का कर्ज भी बकाया था। अब प्रदेश में प्रति व्यक्ति कर्ज भी घटा है ।

 

उन्होंने कहा कि सरकार ने बीते वर्ष के 1 लाख करोड़ रूपए के बजट में 90 फीसदी से ज्यादा खर्च किया जबकि कांग्रेस सरकार 40 हजार करोड़ के बजट में 85 फीसदी भी खर्च नहीं करती थी। उन्होंने कहा कि प्रति व्यक्ति आय में 10.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि पूंजीगत खर्च का उपयोग 2015-16 में 92 फीसदी से भी ज्यादा हुआ है। उन्होंने कहा कि विभिन्न विभागों में बजट को बढ़ाया गया है। 2013-14 में स्वास्थ्य का बजट कुल बजट का 3.2 फीसदी था अब यह 4.14 फीसदी  है। कृषि और सिंचाई का बजट भी बढ़ाया है। वर्ष 2013-14 में वेतन और पेंशन पर 15 हजार 461 करोड़ रुपये खर्च हुए थे जबकि इस साल सरकार ने 28 हजार करोड़ 898 रुपये खर्च किये हैं।

कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि हरियाणा का बजट प्रबन्धन संतुलित है और राज्य की पहचान एक जिम्मेवार राज्य के रूप में हुई है। बजट  आगे के एक साल के लिए तैयार की गई योजनाओं व प्राप्त राजस्वों के अनुरूप खर्च करने का एक दस्तावेज होता है। वर्तमान सरकार के चार साल के कार्यकाल में प्रस्तावित बजट अनुमानों का हर वर्ष 90 प्रतिशत वास्तविक खर्च किया है, जबकि पिछली सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2010-11 से वर्ष 2014-15 तक यह 85 प्रतिशत से अधिक नहीं था।

 

वित्त मंत्री ने कहा कि वर्ष 2011-12 में ऋण वृद्धि दर 19.41 प्रतिशत, वर्ष 2012-13 में 22.37 प्रतिशत, वर्ष 2013-14 में 19.02 प्रतिशत थी, जबकि वर्ष 2016-17 में ऋण वृद्धि दर को कम करके 16.87 प्रतिशत लाया गया तथा वर्ष 2017-18 में यह दर 17.42 प्रतिशत रही, जबकि वर्ष 2018-19 में ऋण वृद्धि दर 16.72 प्रतिशत प्रस्तावित है। वर्ष 2018-19 के प्रस्तावित बजट में कर्मचारियों की पेंशन व वेतन पर कम खर्च सम्बंधी विपक्ष की शंकाओं को तथ्यों से परे बताते हुए उन्होंनेें जानकारी दी कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ अपने कर्मचारियों को देने वाला हरियाणा पहला राज्य है, यहां तक कि बोर्डों, निगमों व सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के कर्मचारियों को भी इसका लाभ दिया जा चुका है। वित्त मंत्री ने सदन को अवगत करवाया कि वर्ष 2013-14 में कर्मचारियों के वेतनमान व पेंशन पर 15,461 करोड़ रुपये खर्च हुए थे, जबकि वर्ष 2017-18 में कर्मचारियों के वेतनमान व पेंशन पर 26,732 करोड़ रुपये खर्च हुए तथा वर्ष 2018-19 में कर्मचारियों के वेतनमान व पेंशन पर 28,898 करोड़ रुपये खर्च होना प्रस्तावित है।

कृषि व सम्बद्ध क्षेत्र का आवंटन कम करने के आरोप को भी वित्त मंत्री ने सही नहीं बताया और कहा कि इनेलो के वर्ष 1999 से वर्ष 2004 के छहः वर्ष के कार्यकाल में कृषि व सम्बद्ध क्षेत्र पर 2250 करोड़ रुपये खर्च किये गए थे, जबकि उसके बाद कांग्रेस के 10 वर्षों के कार्यकाल में लगभग 11 हजार करोड़ रुपये खर्च किये गए थे परन्तु हमारी सरकार ने चार वर्ष में ही अर्थात 31 मार्च, 2018 तक कृषि व सम्बद्ध क्षेत्र पर 11 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च की जानी है।

विपक्ष द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान पर किए गये कटाक्ष का जवाब   देते हुए कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि हरियाणा में वर्ष 2013-14 के एक हजार लडकों पर 868 लड़कियों की तुलना में हमारी सरकार द्वारा बेटियों को बचाने के लिए किए गये ठोस प्रयासों से लिंगानुपात में सुधार हुआ और वर्ष 2016-17 के दौरान 1000 लडकों पर 900 बेटियां पैदा हुई।

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