सरकारी स्कूल अपनी खामियों को लेकर हमेशा चर्चा में रहते है। देखने में यह भी आता है कि निजी स्कूलों को नियमों का पाठ पढाने वाले सरकारी अधिकारी अपने इन सरकारी स्कूलों की ओर से आंख मुदें नजर आते है इसका जीता जगता सबूत मिला टोहाना उपमण्डल के गांव रत्ताखेडा के राजकीय माध्यमिक विद्यालय में जहाँ स्कूल के अध्यापक ही नहीं बल्कि मुख्याध्यापक भी देरी से पहुँचते है जबकि सभी स्कूलों में परीक्षाएं चल रहीं है पर लगता है इन अध्यापकों को बच्चों के भविष्य की तनिक भी चिंता नहीं है।
ग्रामीणों की और गांव सरपंच कि माने तो पिछले लंबे समय से स्कूल के अध्यापक समय से नहीं आ रहे है, जिसके चलते बच्चों की पढाई में भारी नुकसान हो रहा है। इतना ही नहीं इनका कहना है कि अध्यापक हमेशा देरी से और अपनी मनमर्जी से आते है। बार-बार कहने के बावजूद भी जब कोई हल नहीं निकला तो ग्रमीणों ने स्कूल के गेट पर ताला लगा दिया।
वहीं अध्यापकों का बचाव करते हुए मुख्याध्यापक ने कहा कि अध्यापक आज ही देरी से आए हैं और जो नहीं आए उनकी परीक्षाओं में ड्यूटी लगी हुई है।
फिलहाल सोचने वाली बात ये है कि नियमों का पाठ पढ़ाने वाले अध्यापक ही अगर नियमों की उलंघना करेगें तो बच्चे क्या सीखेगें