Wednesday , 30 April 2025

हरियाणा के चर्चित आईएएस अफसर अशोक खेमका आज रिटायर, 33 साल की सेवा में 57 तबादले और कई ऐतिहासिक फैसले

चंडीगढ़,30 अप्रैल : हरियाणा के सबसे चर्चित और ईमानदार आईएएस अफसर अशोक खेमका आज अपनी 33 साल की लंबी सेवा के बाद रिटायर हो जाएंगे। उनकी 33 साल की नौकरी में कुल 57 तबादले हुए, जो हमेशा राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियां बने। हालांकि, खेमका ने अपने तबादलों को कभी भी अपने मूल्यों से समझौता करने का कारण नहीं बनने दिया। भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति के लिए उन्हें जाना जाता है।

 

रिटायरमेंट के बाद का कार्यकाल:

अशोक खेमका आज हरियाणा सरकार के परिवहन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के रूप में रिटायर होंगे। पांच महीने पहले उनका आखिरी तबादला किया गया था और अब वे अपने प्रशासनिक कार्यकाल को समाप्त करने जा रहे हैं। खेमका की विदाई के लिए हरियाणा आईएएस ऑफिसर्स एसोसिएशन ने आज शाम को चंडीगढ़ में एक भव्य समारोह आयोजित किया है।

 

शुरुआत से संघर्ष और सख्त फैसले:

कोलकाता में जन्मे अशोक खेमका ने अपनी शिक्षा खड़गपुर के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान से स्नातक और मुंबई के टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान से कंप्यूटर साइंस में पीएचडी और एमबीए की डिग्री हासिल की। उनका प्रशासनिक करियर हमेशा एक संघर्ष से भरा रहा, लेकिन उन्होंने कभी भी अपने सिद्धांतों और मूल्यों से समझौता नहीं किया।

 

किसी के प्रभाव को नहीं बख्शा:

2012 में रॉबर्ट वाड्रा और हरियाणा सरकार के बीच विवादास्पद भूमि सौदे को रद्द करने के उनके साहसिक कदम ने उन्हें सुर्खियों में ला दिया। इस फैसले के कारण खेमका को भले ही बड़े राजनीतिक दबाव का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने बिना डर के ईमानदारी से काम करना जारी रखा। इसके बाद, 2014 में उन्होंने परिवहन आयुक्त के रूप में ट्रक चालकों की हड़ताल के बावजूद बड़े वाहनों को फिटनेस सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया, जो उनका एक और साहसिक कदम था।

 

सोशल मीडिया पर भी बेबाक राय:

अशोक खेमका सोशल मीडिया पर भी अपनी बेबाक राय रखने के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने कई बार अपने तबादलों और भ्रष्टाचार पर खुलकर अपनी बातें व्यक्त की। वे अक्सर एक्स (Twitter) पर सक्रिय रहते हैं और ईमानदारी से सरकार के फैसलों और प्रशासनिक कार्यों पर अपने विचार साझा करते रहे हैं।

 

भ्रष्टाचार के खिलाफ अंतिम प्रयास:

अशोक खेमका ने अपने सेवा के अंत में मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखकर सतर्कता विभाग में तैनाती की पेशकश की थी। उनका कहना था कि वे सेवा के अंत में भ्रष्टाचार के खिलाफ असली लड़ाई लड़ेंगे और किसी भी प्रभावशाली व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा, लेकिन दुर्भाग्यवश उनकी ये ख्वाहिश पूरी नहीं हो सकी।

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