हिसार, 18 अप्रैल – हरियाणा में सुशासन की दिशा में एक बड़ी कार्रवाई करते हुए हरियाणा राज्य सेवा का अधिकार आयोग ने हिसार तहसील के नायब तहसीलदार पर सेवा में लापरवाही और शिकायतकर्ता को परेशान करने के मामले में ₹5000 का जुर्माना लगाया है। आयोग ने यह भी आदेश दिया है कि शिकायतकर्ता श्रीमती सुमेधा जिंदल को ₹5000 का मुआवजा दिया जाए।
यह मामला हिसार जिले के गांव बीड़ से जुड़ा है, जहां भूमि हस्तांतरण और म्युटेशन प्रक्रिया में देरी को लेकर शिकायत दर्ज की गई थी। आयोग की जांच में सामने आया कि संबंधित अधिकारी श्री नवदीप द्वारा तथ्यों के विपरीत जानकारी दी गई और म्युटेशन प्रक्रिया में अनावश्यक विलंब किया गया।
क्या है मामला?
शिकायत के अनुसार, पंजीकरण के बाद म्युटेशन प्रक्रिया स्वतः शुरू होनी चाहिए थी (जैसा कि सरकार की अधिसूचना 16 मार्च 2021 में स्पष्ट किया गया है), लेकिन इस मामले में म्युटेशन की प्रविष्टि कई महीनों की देरी से 23 दिसंबर 2024 को तब हुई, जब आयोग ने इस पर संज्ञान लिया। इतना ही नहीं, शिकायतकर्ता से बाद में पंजीकृत विक्रय विलेखों का म्युटेशन पहले दर्ज कर लिया गया, जो पक्षपात को दर्शाता है।
आयोग का आदेश
आयोग ने नायब तहसीलदार को दोषी करार देते हुए राइट टू सर्विस एक्ट 2014 की धारा 17(1)(एच) के तहत जुर्माना लगाया और मुआवजा देने का आदेश दिया। हिसार के उपायुक्त को निर्देश दिया गया है कि अप्रैल 2025 के वेतन से ₹5000 की कटौती कर उसे राज्य कोष में जमा करवाया जाए तथा शिकायतकर्ता को मुआवजा प्रदान किया जाए।