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भगवद गीता और नाट्यशास्त्र को यूनेस्को के मेमोरी

भगवद गीता और नाट्यशास्त्र को यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किया गया, पीएम मोदी ने इसे “गर्व का क्षण” बताया

नई दिल्ली, 18 अप्रैल, 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीमद्भगवद गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किए जाने पर गर्व व्यक्त किया। यह ऐतिहासिक क्षण भारतीय संस्कृति और ज्ञान की वैश्विक मान्यता को दर्शाता है। यूनेस्को ने गुरुवार को 74 नई प्रविष्टियों की घोषणा की, जिससे मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में कुल 570 अंकित संग्रह हो गए हैं।

शाश्वत ज्ञान की वैश्विक पहचान

प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “दुनिया भर में हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण! श्रीमद्भगवद गीता और नाट्यशास्त्र को यूनेस्को के विश्व स्मृति रजिस्टर में शामिल किया जाना हमारे कालातीत ज्ञान और समृद्ध संस्कृति की वैश्विक मान्यता है। ये शास्त्र सदियों से सभ्यता और चेतना का पोषण करते आ रहे हैं, और उनकी अंतर्दृष्टि आज भी दुनिया को प्रेरित करती रहती है।”

यूनेस्को का बयान और दस्तावेजी विरासत

यूनेस्को के महानिदेशक ऑड्रे अज़ोले ने कहा, “दस्तावेजी विरासत मानव इतिहास का एक आवश्यक और नाजुक तत्व है। यही कारण है कि हम ऐसे महत्वपूर्ण स्थलों की रक्षा में निवेश करते हैं, जैसे मॉरिटानिया के चिंगुएट्टी पुस्तकालय और कोटे डी आइवर के अमादौ हंपते बा के अभिलेखागार। यह रजिस्टर मानव इतिहास के व्यापक धागों को रिकॉर्ड करने का कार्य करता है।”

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का बयान

केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इसे भारत की सभ्यता विरासत के लिए एक “ऐतिहासिक क्षण” बताया। शेखावत ने कहा, “गीता और नाट्यशास्त्र का यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल होना भारत की शाश्वत संस्कृति और कला का वैश्विक सम्मान है। यह सिर्फ साहित्यिक खजाना नहीं है, बल्कि दार्शनिक और सौंदर्यवादी दृष्टिकोण का प्रतीक है, जिन्होंने भारतीय समाज के सोचने, महसूस करने, जीने और अभिव्यक्त करने के तरीकों को आकार दिया।”

उन्होंने आगे कहा कि इस घोषणा के साथ अब भारत के कुल 14 शिलालेख यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल हो गए हैं।

नए प्रविष्टियाँ और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग

यूनेस्को ने जिन 74 नई प्रविष्टियों की घोषणा की, उनमें से 14 वैज्ञानिक दस्तावेज़ी विरासत से संबंधित हैं। इसके अतिरिक्त, दासता की स्मृति और प्रमुख ऐतिहासिक महिलाओं के अभिलेख भी शामिल किए गए हैं। इनमें स्विट्जरलैंड में जिनेवा कन्वेंशन (1864-1949), मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा, और नामीबिया में 1991 का विंडहोक घोषणापत्र शामिल हैं, जो प्रेस स्वतंत्रता के संदर्भ में वैश्विक महत्व रखते हैं।

भारत की संस्कृति और ज्ञान का वैश्विक सम्मान

इस महत्वपूर्ण घोषणा के बाद, भारतीयों के लिए यह एक गर्व का क्षण है, क्योंकि यह उनके सांस्कृतिक धरोहर और ज्ञान की समृद्धि को पूरी दुनिया के सामने लाता है। श्रीमद्भगवद गीता और नाट्यशास्त्र को यूनेस्को के रजिस्टर में स्थान मिलने से भारत की प्राचीन और महान धरोहर को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिली है, जो भारतीय संस्कृति की अमिट छाप को दुनिया भर में स्थापित करता है।

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