नई दिल्ली | 16 अप्रैल 2025: भारत में टोल कलेक्शन सिस्टम एक नए युग में प्रवेश करने जा रहा है। सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने ऐलान किया है कि इस महीने के अंत तक देश में सैटेलाइट-बेस्ड टोलिंग सिस्टम यानी GNSS (Global Navigation Satellite System) लागू किया जाएगा। ये सिस्टम मौजूदा फास्टैग सिस्टम की जगह लेगा और टोल बूथ्स से छुटकारा दिलाएगा।
अब न टोल की लाइन, न फास्टैग की झंझट!
GNSS सिस्टम पूरी तरह सैटेलाइट के जरिए काम करेगा। जैसे ही आपकी गाड़ी हाईवे पर चढ़ेगी, उतनी दूरी के हिसाब से टोल अपने आप कट जाएगा। यानी अब आपको हर टोल प्लाजा पर रुकना नहीं पड़ेगा, और न ही तय रकम चुकानी होगी – “जितना चलोगे, उतना दोगे!”
क्या है GNSS टोलिंग टेक्नोलॉजी?
GNSS तकनीक सैटेलाइट्स की मदद से आपकी गाड़ी को ट्रैक करती है। हाईवे पर आपने जितना सफर किया, उसी आधार पर टोल लिया जाएगा। अभी के सिस्टम में तय रकम देनी होती है, चाहे आप 5 किमी चलें या 50 किमी।
कहाँ हो रही है टेस्टिंग?
देश के कई हिस्सों में GNSS सिस्टम की पायलट टेस्टिंग चल रही है। पहले चरण में यह तकनीक कुछ चुनिंदा टोल प्लाजा पर फास्टैग के साथ काम करेगी। धीरे-धीरे देशभर के टोल प्लाजा को अपग्रेड किया जाएगा।
क्या होंगे फायदे?
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लंबी कतारों से छुटकारा
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वाहन मालिकों को कम टोल देना होगा
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सरकार को टोल चोरी रोकने में मदद मिलेगी
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ट्रैफिक जाम और समय की बचत
पहले क्यों टला था प्लान?
पहले इसे 1 अप्रैल 2025 से लागू करने की योजना थी, लेकिन GNSS सिग्नल की सटीकता के लिए भारत के नेविगेशन सैटेलाइट्स के एक्टिवेशन का इंतजार किया गया। अब तैयारी पूरी है।