Friday , 20 September 2024

गेहूं और धान की फसल पर किसानों को होगा फायदा

मोगा : मोदी सरकार का आखरी बजट बेशक किसानों के लिए सुहावने सपने लेकर आ रहा है परंतु किसान यूनियन इतने में संतुष्ट नहीं हैं। उनका मानना है कि फसलों की कीमतों को सूचक अंक के साथ ही जोड़ा जाना चाहिए क्योंकि सरकार के फसलों की लागत के आंकलन हकीकत से कम होते हैं। ऐसे में डेढ़ गुना कीमतें भी काफी नहीं होंगी। मोदी सरकार ने वर्ष 2017-18 के केंद्रीय बजट में किसानों के आमदन को बढ़ाने के लिए फसलों की कीमतों को लागत से डेढ़ गुना करने की घोषणा की है।

 

इस संबंधी भारतीय किसान यूनियन एकता उग्राहां के राज्य मुख्य सचिव सुखदेव सिंह कोकरी का कहना है कि सरकार ने जो फसलों की लागत का आंकलन करना है वह हकीकत से कोसों दूर होगी। ऐसे में किसानों को फायदा नहीं होगा। मोदी सरकार द्वारा मानी गई मांग को ही लागू करना चाहिए, जो स्वामीनाथन की रिपोर्ट के अनुसार फसलों की कीमत को सूचक अंक के साथ जोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि यदि व्यापारियों के माल की कीमतों को सूचक अंक के साथ जोड़ा जा सकता है तो किसान की फसल को क्यों नहीं? इस संबंधी कृषि विज्ञान केंद्र के डाॅ. हरजीत सिंह का कहना है कि फसलों की कीमत को अगर लागत से डेढ़ गुना कर दिया जाता है तो जिले के लगभग 6 लाख किसानों को गेहूं और धान की दोनों फसलों को मिलाकर 300 करोड़ रुपए का फायदा होगा। ग्रामीण हाट को लेकर पूर्व कृषि मंत्री जत्थेदार तोता सिंह का कहना है कि यह पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का ही सपना है। 1998-99 में हमारी सरकार ने गांवों में फोकल प्वाइंट बनाने का काम शुरू किया था। इसका मकसद था कि गांवों को किसान सीधे अपनी पैदावार खरीददार को बेच सकें। लेकिन बादल सरकार का यह सपना इसलिए साकार ना हो सका कि दूसरी बार उनकी सरकार नहीं बनी और जब सरकार बनी तो केंद्र में यूपीए सरकार 10 साल तक चली।

 

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