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सुखबीर सिंह बादल की सियासी वापसी: इस्तीफे के 5 महीने बाद फिर बने शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष

अमृतसर | 12 अप्रैल 2025– पंजाब की राजनीति में एक बार फिर बड़ा मोड़ आया है। शिरोमणि अकाली दल ने एक बार फिर सुखबीर सिंह बादल को पार्टी का अध्यक्ष चुन लिया है। शनिवार को स्वर्ण मंदिर परिसर में स्थित तेजा सिंह समुंद्री हॉल में हुए संगठनात्मक चुनाव में उन्हें सर्वसम्मति से अध्यक्ष पद के लिए निर्वाचित किया गया। पार्टी के 524 प्रतिनिधियों ने कार्यकारी अध्यक्ष बलविंदर सिंह भूंदड़ द्वारा प्रस्तावित नाम का समर्थन किया।

यह सुखबीर सिंह बादल की पार्टी में एक और ऐतिहासिक वापसी मानी जा रही है। पहली बार 2008 में अपने पिता प्रकाश सिंह बादल की विरासत को आगे बढ़ाते हुए वह शिअद अध्यक्ष बने थे और 2024 तक इस पद पर बने रहे। लेकिन नवंबर 2024 में उन्होंने अकाल तख्त की ओर से ‘तनखैया’ घोषित किए जाने के बाद पद से इस्तीफा दे दिया था।

धार्मिक सजा के बाद पार्टी में वापसी

16 नवंबर 2024 को अकाल तख्त द्वारा ‘धार्मिक उल्लंघन’ के चलते सुखबीर को ‘तनखैया’ घोषित किया गया था। इसके बाद उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था। 2 दिसंबर को जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने शिरोमणि अकाली दल के तत्कालीन नेतृत्व को अयोग्य घोषित कर दिया था, जिससे पार्टी में हलचल तेज हो गई थी।

बाद में एसजीपीसी ने जत्थेदार रघबीर सिंह को हटाकर जत्थेदार कुलदीप सिंह गर्गज को नियुक्त किया। इस पूरे घटनाक्रम के बीच जब सुखबीर ने धार्मिक सजा पूरी करने के लिए स्वर्ण मंदिर में हाजिरी दी, तब उन पर जानलेवा हमला भी हुआ, जिससे वह बाल-बाल बच गए।

संगठनात्मक चुनाव से फिर सौंपी गई कमान

पार्टी प्रवक्ता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने बताया कि सुखबीर सिंह बादल और अन्य नेताओं ने अकाल तख्त के निर्देशानुसार धार्मिक सजा पूरी कर ली है। इसके बाद पार्टी ने तीन महीने लंबे सदस्यता अभियान के समापन पर संगठनात्मक चुनाव कराए। इसमें सुखबीर बादल ही एकमात्र उम्मीदवार थे, जिन्हें सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुना गया।

2027 चुनावों पर टिकी निगाहें

सुखबीर सिंह बादल की वापसी ऐसे समय पर हुई है जब पंजाब में 2027 के विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। अध्यक्ष चुने जाने के बाद उन्होंने कहा, “मैं पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं और पंजाब की जनता का धन्यवाद करता हूं। हम सिख पंथ की सेवा और पंजाब के हितों की रक्षा के लिए पहले से अधिक जोश के साथ काम करेंगे।”

उनकी वापसी को लेकर पार्टी के भीतर उत्साह है और इसे शिअद की नई ऊर्जा के रूप में देखा जा रहा है। अब देखना होगा कि क्या सुखबीर बादल का यह नया कार्यकाल पार्टी को फिर से राज्य की मुख्यधारा की राजनीति में मजबूत स्थिति दिला पाएगा।

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