दिल्ली , 11 मार्च : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज से दो दिवसीय यात्रा पर मॉरीशस रवाना हो गए हैं, जहां वह 12 मार्च को मॉरीशस के 57वें राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करेंगे। यह यात्रा भारत और मॉरीशस के बीच साझेदारी को एक नया मोड़ देने का अवसर है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी यात्रा से पहले एक बयान में कहा, “यह यात्रा दोनों देशों के बीच एक नया और उज्ज्वल अध्याय जोड़ेगी। मैं अपने ‘सागर’ विजन के तहत हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा और विकास के लिए मॉरीशस नेतृत्व के साथ अपनी साझेदारी को मजबूत करने के लिए तत्पर हूं।” ‘सागर’ का अर्थ है ‘सुरक्षा और विकास के लिए सभी के लिए’ (Security and Growth for All in the Region), जो क्षेत्रीय सहयोग और शांति को बढ़ावा देने की भारत की नीति को दर्शाता है।
प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों की एक टुकड़ी, भारतीय नौसेना का एक युद्धपोत और भारतीय वायु सेना की आकाश गंगा स्काई डाइविंग टीम मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस समारोह में हिस्सा लेगी। यह दोनों देशों के बीच घनिष्ठ और ऐतिहासिक संबंधों का प्रतीक होगा। मोदी ने इस अवसर पर कहा, “हिंद महासागर में मॉरीशस हमारे लिए एक करीबी समुद्री पड़ोसी, एक प्रमुख साझेदार और अफ्रीकी महाद्वीप का प्रवेश द्वार है। हम इतिहास, भूगोल और संस्कृति से आपस में जुड़े हुए हैं।”
प्रधानमंत्री मोदी ने दोनों देशों के रिश्तों को और प्रगाढ़ करने के लिए जनोन्मुखी पहलों पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “हमारे बीच गहरा आपसी विश्वास, लोकतंत्र के मूल्यों में साझा विश्वास और विविधता पर गर्व हमारी ताकत है। मुझे विश्वास है कि यह यात्रा अतीत की नींव पर आधारित होगी और दोनों देशों के रिश्तों में एक नया और उज्ज्वल अध्याय जोड़ेगी।”
यह यात्रा दोनों देशों के बीच व्यापारिक और सांस्कृतिक रिश्तों को और मजबूत करने का अवसर है। भारत, मॉरीशस का एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार है और सिंगापुर के बाद मॉरीशस भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है। 2023-24 में मॉरीशस ने भारत में निवेश में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जो दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को और मजबूती प्रदान करता है।
प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा से मॉरीशस के साथ भारत के रिश्तों में न केवल सामरिक और व्यापारिक साझेदारी में वृद्धि होगी, बल्कि यह हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा और विकास को बढ़ावा देने के भारत के दृष्टिकोण को भी नया आकार देगा।