भिवानी, 8 मार्च : हरियाणा के भिवानी जिले के छोटे से गांव ढाबढाणी की रहने वाली सुलेखा कटारिया की कहानी प्रेरणा से भरी हुई है। अपने संघर्ष और मेहनत से सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचने वाली सुलेखा आज हर महिला के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई हैं। उनकी बनाई पेंटिंग अब राष्ट्रपति भवन में स्थायी रूप से प्रदर्शित हो रही है, और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनकी कला की सराहना की।
सुलेखा का जन्म एक छोटे किसान और दर्जी के घर में हुआ था, और उनका बचपन विपरीत परिस्थितियों में बीता। घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद सुलेखा ने अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष जारी रखा। कॉलेज की फीस तक भरने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे, लेकिन उनके बड़े भाई ने हमेशा उन्हें प्रेरित किया। कोविड के दौरान परिवार के संकटों ने उनकी हिम्मत और मजबूत की, और दिल्ली में नौकरी करने का फैसला लिया।
सुलेखा की कला को तब पहचान मिली, जब उन्होंने गीता जयंती महोत्सव में भाग लिया और अपनी पेंटिंग से ब्लॉक स्तर पर पहला स्थान जीता। इसके बाद उन्होंने अपनी कला को निखारने के लिए कई प्रतियोगिताओं में भाग लिया और जिला व राज्य स्तर पर पुरस्कार जीते। मार्च 2024 में दिल्ली के ऐतिहासिक पुराना किला में आयोजित एक राष्ट्रीय वर्कशॉप में उनकी पेंटिंग ‘भारत का मानचित्र’ को टॉप 15 पेंटिंग्स में शामिल किया गया।
राष्ट्रपति भवन से उन्हें एक फोन आया और बताया गया कि उनकी पेंटिंग को देश की टॉप 15 पेंटिंग्स में जगह मिली है। यह एक ऐतिहासिक पल था, क्योंकि सुलेखा के लिए राष्ट्रपति भवन जाना और अपनी कला को वहां प्रदर्शित करना सपने जैसा था। राष्ट्रपति भवन में उनकी पेंटिंग अब एक विशेष हॉल में स्थायी रूप से प्रदर्शित की जा रही है, जो उनकी कड़ी मेहनत और संघर्ष का प्रतीक बन गई है।
सुलेखा का मानना है कि अगर आपके अंदर मेहनत और धैर्य है, तो कोई भी विपरीत परिस्थिति आपके सपनों के आड़े नहीं आ सकती। आज भी वह अपनी कला के माध्यम से उन लड़कियों को प्रेरित करने की कोशिश कर रही हैं जो छोटे गांवों से निकलकर बड़े सपने देखती हैं। उनकी सफलता यह साबित करती है कि अगर इच्छाशक्ति मजबूत हो, तो कोई भी मुश्किल रास्ता पार किया जा सकता है।