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किसान संगठन 5 मार्च से चंडीगढ़ में लगाएंगे पक्का मोर्चा, CM भगवंत मान के साथ बैठक रही बेनतीजा

चंडीगढ़ | 3 मार्च 2025 – पंजाब के किसानों और राज्य सरकार के बीच गतिरोध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। मुख्यमंत्री भगवंत मान और संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के नेताओं के बीच दो घंटे तक चली बैठक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी। नाराज किसान संगठनों ने ऐलान किया है कि वे 5 मार्च से चंडीगढ़ में पक्का मोर्चा लगाएंगे। बैठक के बाद किसान नेता जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा कि सरकार की मंशा किसानों की मांगों को हल करने की नहीं है, यही वजह है कि CM बैठक अधूरी छोड़कर चले गए।

 

बैठक के दौरान क्या हुआ?

बैठक के दौरान 18 मांगों में से करीब 8-9 मुद्दों पर चर्चा चल रही थी, लेकिन मुख्यमंत्री अचानक बैठक छोड़कर चले गए। किसानों के अनुसार, केवल 1 मांग पर सहमति बनी, जो 1 जून से धान की कटाई शुरू करने को लेकर थी।

 

किसान नेता बूटा सिंह बुर्जगिल्ल ने बताया कि बैठक के दौरान CM भगवंत मान ने दो-टूक शब्दों में कहा कि अगर किसान 5 मार्च से चंडीगढ़ में मोर्चा लगाने का फैसला नहीं बदलते, तो सरकार द्वारा मानी गई सभी मांगें रद्द समझी जाएं।

 

किसान नेताओं का विरोध – “CM को शोभा नहीं देता ऐसा व्यवहार”

 

बैठक के बाद किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा,

“हमें दुख है कि मुख्यमंत्री जैसे ऊंचे पद पर बैठकर किसानों को धमकाना भगवंत मान को शोभा नहीं देता। यह पंजाब के किसानों को धमकी देने जैसा है। अब किसान संगठन आपसी विचार-विमर्श कर आगे की रणनीति तय करेंगे।”

 

CM भगवंत मान ने की अपील

बैठक के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सोशल मीडिया पर किसानों से अपील की कि सड़कों और रेलवे को बाधित करने से आम जनता को परेशानी होगी। उन्होंने लिखा –

“चक्का जाम करना, सड़कों और रेलों को रोकना या पंजाब बंद करना किसी समस्या का हल नहीं है। इससे आम लोगों को दिक्कतें होती हैं और कारोबार भी प्रभावित होता है। हमें इसका भी ध्यान रखना चाहिए।”

 

क्या होगा आगे?

किसान संगठनों ने साफ कर दिया है कि वे अब 5 मार्च से चंडीगढ़ में डटे रहेंगे। सरकार के साथ बातचीत के बावजूद अगर सहमति नहीं बनती, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। आने वाले दिनों में पंजाब में किसानों और सरकार के बीच टकराव और बढ़ सकता है।

 

अब सवाल यह है – क्या सरकार और किसान संगठन कोई बीच का रास्ता निकाल पाएंगे या फिर पंजाब एक और बड़े किसान आंदोलन की ओर बढ़ रहा है?

 

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