चंडीगढ़, 3 मार्च: पंजाब में किसानों का आंदोलन एक नए मोड़ पर पहुंच गया है। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के बैनर तले किसान अपनी विभिन्न मांगों को लेकर 5 मार्च से चंडीगढ़ में स्थायी धरना देने की तैयारी कर रहे हैं। इस बीच, आज पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एसकेएम नेताओं के साथ बैठक बुलाई है। यह बैठक शाम 4 बजे पंजाब भवन में होगी, जिसमें किसानों की 17 मांगों पर चर्चा की जाएगी।
बैठक में तीन मुख्य बिंदु होंगे प्रमुख
किसानों ने सरकार के साथ होने वाली बैठक के लिए अपनी 17 मांगों की सूची तैयार की है। इनमें से 13 मांगों पर सरकार पहले ही सहमति जता चुकी है, लेकिन उनका समाधान अभी तक नहीं हुआ है। इन मांगों में शामिल हैं:
- किसानों के लिए वन टाइम सेटलमेंट स्कीम लागू करना
- सरहिंद फीडर नहर पर मोटरों के बिजली बिल माफ करना
- गांव-गांव में केस-फ्री जमीन बांटने की योजना
- आवारा पशुओं और कुत्तों की समस्या का स्थायी समाधान
- पशुओं से फसलों को बचाने के लिए किसानों को राइफल लाइसेंस जारी करना
- बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से फसलों को हुए नुकसान का मुआवजा
- सहकारी समितियों में नए खाते खोलने पर लगी रोक हटाना
अगर सरकार और किसान संगठनों के बीच बैठक में सहमति बनती है, तो किसान अपने आंदोलन की आगे की रणनीति में बदलाव कर सकते हैं।
डल्लेवाल के अनशन का 98वां दिन, 100वें दिन होगा बड़ा विरोध
शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसानों का संघर्ष लगातार जारी है। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन सोमवार को 98वें दिन में प्रवेश कर गया है। 5 मार्च को उनके अनशन के 100 दिन पूरे होने पर 101 किसान एक दिन की भूख हड़ताल पर बैठेंगे।
इस बीच, किसान महापंचायतों का शेड्यूल तय करने के लिए आज एक ऑनलाइन बैठक बुलाई गई है। 8 मार्च को महिला किसान पंचायत आयोजित करने का भी ऐलान किया गया है, जिसमें देशभर की महिला किसान शामिल होंगी।
ओलावृष्टि और बारिश से फसलों को नुकसान, मुआवजे की मांग तेज
हाल ही में हुई ओलावृष्टि और भारी बारिश ने पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के किसानों को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। अमृतसर (पंजाब), अंबाला (हरियाणा) और राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों में सरसों और गेहूं की फसलें बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।
शंभू मोर्चे के नेताओं ने मांग की है कि जिस तरह सरकार पराली जलाने की निगरानी के लिए ड्रोन और सैटेलाइट तकनीक का इस्तेमाल करती है, उसी तरह फसल नुकसान का वैज्ञानिक तरीके से आकलन किया जाए। किसानों ने सरकार से बिना देरी के मुआवजा देने और फसल बीमा कंपनियों को प्रभावित क्षेत्रों में गिरदावरी कराने की मांग की है।
आंदोलन की अगली रणनीति बैठक के नतीजों पर निर्भर
किसानों का कहना है कि अगर सरकार उनकी मांगों को पूरा करने के लिए ठोस कदम उठाती है, तो वे अपने आंदोलन की अगली रणनीति पर पुनर्विचार करेंगे। हालांकि, अगर समाधान नहीं निकलता, तो 5 मार्च से चंडीगढ़ में स्थायी धरना शुरू किया जाएगा।
आज की बैठक के नतीजों पर पूरे पंजाब के किसानों की निगाहें टिकी हुई हैं। अब देखना यह होगा कि सरकार और किसान संगठनों के बीच कोई सार्थक हल निकलता है या आंदोलन और तेज होता है।