चंडीगढ़,22 फरवरी : किसानों के मुद्दों पर केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच आज चंडीगढ़ में एक महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है। इस बैठक में खनौरी में पिछले 88 दिनों से अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल समेत कई प्रमुख किसान नेता शामिल होंगे। बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद रहेंगे, जो किसानों से बातचीत के लिए खुद चंडीगढ़ पहुंचेंगे।
खनौरी और शंभू में किसानों का शक्ति प्रदर्शन
बैठक से पहले शुक्रवार को किसान नेताओं ने शंभू और खनौरी में शक्ति प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन खासतौर पर पिछले साल खनौरी में दिल्ली कूच के दौरान मारे गए शुभकरण की बरसी पर किया गया। किसानों ने इस दौरान कैंडल मार्च भी निकाला और शुभकरण को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर किसान नेता डल्लेवाल ने कहा कि शुभकरण की मौत के कथित जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है, जबकि उन्हें राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित करने की सिफारिश की गई थी, जिसे बाद में वापस ले लिया गया।
किसानों की मुख्य मांग – MSP की गारंटी
किसान संगठन लंबे समय से सभी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी की मांग कर रहे हैं। शुक्रवार को शंभू में श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने चेतावनी दी कि अगर शनिवार की बैठक में कोई ठोस नतीजा नहीं निकला, तो 25 फरवरी को शंभू से पैदल हरियाणा की ओर फिर से कूच किया जाएगा।
केंद्र सरकार का दावा और किसानों की प्रतिक्रिया
केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने पिछले हफ्ते चंडीगढ़ में हुई बैठक के बाद मीडिया को बताया कि बैठक सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई थी। हालांकि, किसान नेताओं ने सरकार के इस दावे पर सवाल उठाए हैं कि पिछले 10 वर्षों में किसानों की फसलें MSP पर खरीदी गई हैं। किसान नेताओं का कहना है कि मोदी सरकार के तहत फसलों के दाम में केवल 57 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है, जबकि महंगाई में 59 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
क्या होगा अगले कदम?
अब देखना यह होगा कि शनिवार की बैठक में क्या नतीजे निकलते हैं। किसान संगठनों ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि उनकी मांगों को अनदेखा किया जाता है, तो उनका आंदोलन और तेज होगा। वहीं, केंद्र सरकार को उम्मीद है कि दोनों पक्षों के बीच सौहार्दपूर्ण बातचीत से समाधान निकलेगा।
चंडीगढ़ में होने वाली इस बैठक की पूरी सियासी और आर्थिक दृष्टि से अहमियत है, क्योंकि यह तय करेगा कि किसानों का आंदोलन किस दिशा में जाएगा और क्या केंद्र सरकार के साथ उनकी बातचीत में कोई ठोस समाधान निकल पाएगा।