चण्डीगढ़, 18 फरवरी :चंडीगढ़ पुलिस के जवानों से 8 घंटे से ज्यादा ड्यूटी करवाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 19 फरवरी को होने जा रही है। यह मामला चार साल पहले रिटायर्ड हेड कॉन्स्टेबल जगजीत सिंह द्वारा दायर की गई याचिका से जुड़ा है। याचिका में आरोप लगाया गया था कि चंडीगढ़ पुलिस के जवानों को लगातार 8 घंटे से ज्यादा ड्यूटी करने के लिए बाध्य किया जाता है और उन्हें वीकली ऑफ भी नहीं दिया जाता है। कोरोना महामारी के कारण इस मामले की सुनवाई पेंडिंग पड़ी थी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए 19 फरवरी की तारीख तय की है।
रिटायर्ड हेड कॉन्स्टेबल की याचिका और पुलिस के मानसिक स्वास्थ्य पर असर
जगजीत सिंह की याचिका में ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (BPRD) और एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ कॉलेज ऑफ इंडिया, हैदराबाद की 2014 में हुई रिसर्च रिपोर्ट को शामिल किया गया है। रिपोर्ट में यह बताया गया है कि लंबी ड्यूटी और वीकली ऑफ न मिलने की वजह से पुलिसकर्मी मानसिक तनाव और चिड़चिड़ेपन का शिकार हो रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि इससे पुलिसकर्मियों का व्यवहार बिगड़ता है और उनका जनता के साथ संपर्क भी प्रभावित होता है।
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में पहले हुई थी सुनवाई
इस मामले में 2019 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में भी सुनवाई हुई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा था कि पुलिसकर्मियों की ड्यूटी शिफ्ट और वीकली ऑफ तय करना संबंधित अफसरों का काम है। इसके बाद, 2020 में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में दायर किया गया।
पुडुचेरी में लागू हुए थे 8 घंटे की शिफ्ट और वीकली ऑफ
2014 में पूर्व आईजी किरण बेदी ने पुडुचेरी में पुलिसकर्मियों के लिए 8 घंटे की शिफ्ट और वीकली ऑफ लागू किया था। इसके बाद, सभी राज्यों के सीनियर पुलिस अधिकारियों को इस नियम को लागू करने के निर्देश भेजे गए थे। हालांकि, चंडीगढ़ पुलिस ने इस नियम को अब तक लागू नहीं किया है।
संसद में भी उठ चुका है यह मुद्दा
इस मुद्दे को 2018 में संसद में भी उठाया गया था, जिसके बाद भारत सरकार ने चंडीगढ़ पुलिस के डीजीपी से रिपोर्ट मांगी थी। हालांकि, अब तक इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
19 फरवरी को होगी सुनवाई
अब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होगी, जिसमें चंडीगढ़, हरियाणा और अन्य राज्यों की पुलिस से जुड़ी याचिकाओं को एक साथ सुना जाएगा। इस मामले में पुलिसकर्मियों के कार्य घंटों और उनकी मानसिक स्थिति को लेकर बड़ा फैसला हो सकता है, जो पुलिस विभाग और उसके जवानों के लिए अहम साबित हो सकता है।