नई दिल्ली,12 फरवरी : 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट ने कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार को दोषी करार दिया है। यह मामला 1 नवंबर 1984 को दिल्ली के सरस्वती विहार इलाके में हुए दोहरे हत्याकांड से जुड़ा है, जिसमें जसवंत सिंह और उनके बेटे तरनदीप सिंह की हत्या कर दी गई थी।
18 फरवरी को होगी सजा पर बहस
कोर्ट ने इस मामले में सज्जन कुमार को दोषी करार देते हुए सजा पर बहस के लिए 18 फरवरी 2025 की तारीख तय की है। गौरतलब है कि सज्जन कुमार पहले से ही दिल्ली कैंट में सिख विरोधी दंगों के एक अन्य मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं।
DSGMC का बयान: 40 साल बाद न्याय की उम्मीद
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (DSGMC) के महासचिव जगदीप सिंह कहलों ने कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “40 साल बाद सिख कत्लेआम के मुख्य दोषियों में से एक सज्जन कुमार को दोषी करार दिया गया है। हम अदालत का आभार व्यक्त करते हैं। हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को भी धन्यवाद देते हैं, जिन्होंने सत्ता में आने के बाद एसआईटी गठित कर बंद मामलों की दोबारा जांच करवाई। हमें उम्मीद है कि जगदीश टाइटलर के मामले में भी जल्द न्याय मिलेगा।”
मामला दोबारा खुलने के बाद आया फैसला
एडवोकेट एचएस फुल्का ने बताया कि “इस केस को पहले पुलिस ने बंद कर दिया था, लेकिन 2015 में मोदी सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (SIT) के प्रयासों के बाद इसे दोबारा खोला गया। उन्होंने आगे कहा कि सीबीआई की विशेष अदालत की जज कावेरी बावेजा ने यह फैसला सुनाया और यह न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम है।
क्या है 1984 के दंगों का मामला?
31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या के बाद देशभर में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे थे। इन दंगों में हजारों सिखों की हत्या कर दी गई थी, खासकर दिल्ली में। पीड़ित परिवारों को दशकों तक न्याय नहीं मिला, लेकिन 2015 में एसआईटी के गठन के बाद कुछ बंद मामलों की दोबारा जांच शुरू हुई, जिससे अब दोषियों को सजा मिलने की उम्मीद जगी है।