चंडीगढ़,08 फरवरी। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने डॉक्टरों की खराब लिखाई पर गंभीर चिंता जताई है। कोर्ट ने इसे “आश्चर्यजनक और भयावह” बताते हुए कहा कि कंप्यूटर युग में ऐसी स्थिति चिंताजनक है। यह आदेश उस समय दिया गया जब एक मेडिकल-लीगल रिपोर्ट में लिखी जानकारी अपठनीय थी, जिसे पढ़ पाना भी संभव नहीं था। कोर्ट ने इस मुद्दे के स्थायी समाधान के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग, पंजाब और हरियाणा के महाधिवक्ताओं और चंडीगढ़ के वरिष्ठ स्थायी वकील से सहयोग मांगा है।
कोर्ट ने कहा कि तकनीकी युग में भी सरकारी डॉक्टर हाथ से लिखे गए मेडिकल पर्चे और प्रिस्क्रिप्शन में ऐसी लिखावट करते हैं, जिसे केवल कुछ डॉक्टर या केमिस्ट ही समझ पाते हैं। जस्टिस जसगुरप्रीत सिंह पुरी ने इसे जीवन के अधिकार से जोड़ा और कहा कि मरीज को अपनी चिकित्सा स्थिति की जानकारी प्राप्त करना उसका मौलिक अधिकार है।
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में सभी डॉक्टरों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनकी लिखाई स्पष्ट और समझने योग्य हो, ताकि मरीज और उनके परिजन सही निर्णय ले सकें। इस सुधार को सरकारी और निजी डॉक्टरों पर समान रूप से लागू किया जाएगा।