Saturday , 22 February 2025

सज्जन कुमार के खिलाफ 1984 सिख विरोधी दंगा मामले में आज आएगा फैसला

नई दिल्ली, 7 फरवरी: 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में दिल्ली की एक अदालत आज फैसला सुनाने वाली है। यह मामला सरस्वती विहार इलाके में 1 नवंबर 1984 को एक पिता-पुत्र की निर्मम हत्या से जुड़ा हुआ है। पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार इस मामले में आरोपी हैं, और विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा आज इस पर अपना निर्णय सुनाएंगी।

 

मामले की पृष्ठभूमि

31 जनवरी को अदालत ने इस मामले की अंतिम सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। यह मामला जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या से संबंधित है, जिनकी सरस्वती विहार में एक उन्मादी भीड़ द्वारा हत्या कर दी गई थी।

 

अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलें

अभियोजन पक्ष ने दावा किया है कि सज्जन कुमार दंगे की उस भीड़ का नेतृत्व कर रहे थे, जिसने दोनों व्यक्तियों को जिंदा जलाया, उनके घर को लूट लिया और आग के हवाले कर दिया। विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा की गई जांच में पाया गया कि इस हिंसा में कई अन्य लोगों को भी गंभीर चोटें आई थीं और उनका घर पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया था।

 

अतिरिक्त लोक अभियोजक मनीष रावत ने अदालत को बताया कि पीड़िता को पहले सज्जन कुमार की पहचान की जानकारी नहीं थी, लेकिन बाद में जब उन्हें उनके बारे में पता चला, तो उन्होंने अपने बयान में उनका नाम लिया।

 

दूसरी ओर, बचाव पक्ष के वकील अनिल शर्मा ने अदालत में यह तर्क दिया कि सज्जन कुमार का नाम शुरुआत में इस मामले में शामिल नहीं था और गवाहों ने उन्हें नामजद करने में 16 साल की देरी की। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में पुलिस की जांच में गंभीर खामियां रही हैं और यह मामला विदेशी कानूनों के दायरे में नहीं आता।

 

सिख दंगों को बताया “मानवता के खिलाफ अपराध”

वरिष्ठ अधिवक्ता एच.एस. फूलका, जो सिख दंगा पीड़ितों की ओर से पैरवी कर रहे हैं, ने अदालत को बताया कि 1984 के सिख विरोधी दंगों में पुलिस की भूमिका संदिग्ध रही है और जांच को जानबूझकर धीमा किया गया ताकि आरोपियों को बचाया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि यह कोई अलग-थलग घटना नहीं थी, बल्कि एक व्यापक नरसंहार (जेनोसाइड) का हिस्सा थी, जिसमें सिर्फ दिल्ली में 2,700 से अधिक सिखों की हत्या कर दी गई थी।

 

फूलका ने अदालत में दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले का हवाला दिया, जिसमें 1984 के दंगों को “मानवता के खिलाफ अपराध” करार दिया गया था। उन्होंने कहा कि “जनसंहार का उद्देश्य हमेशा अल्पसंख्यकों को निशाना बनाना होता है” और यह मामला भी उसी का हिस्सा है।

 

एसआईटी की जांच और चार्जशीट

इस मामले की शुरुआत में पंजाबी बाग पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई थी, लेकिन पुलिस की सुस्त कार्यवाही के चलते यह मामला आगे नहीं बढ़ सका। बाद में, जस्टिस जी.पी. माथुर कमेटी की सिफारिश पर विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया, जिसने इस केस को दोबारा खोला और सज्जन कुमार के खिलाफ चार्जशीट दायर की।

 

16 दिसंबर 2021 को अदालत ने सज्जन कुमार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 147, 148, 149, 302, 308, 323, 395, 397, 427, 436 और 440 के तहत आरोप तय किए थे। अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि सज्जन कुमार ने हिंसक भीड़ को उकसाया, जिससे इस निर्मम हत्याकांड को अंजाम दिया गया।

 

About webadmin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *