नई दिल्ली, 6 फरवरी – हाल ही में अमेरिका ने अवैध तरीके से वहां रह रहे 104 भारतीय नागरिकों को डिपोर्ट कर दिया, जिससे पूरे देश में एक विवाद खड़ा हो गया है। विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला है। इस विवाद पर अब विदेश मंत्री एस जयशंकर का बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने अमेरिका द्वारा डिपोर्ट किए गए भारतीयों की प्रक्रिया को सामान्य बताया और कहा कि यह कोई नई घटना नहीं है, बल्कि यह पहले भी होता रहा है।
विदेश मंत्री का बयान
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राज्यसभा में इस मामले पर अपना पक्ष रखते हुए कहा, “यह कोई नई बात नहीं है। यह पहले भी होता रहा है। साल 2009 में 747 अवैध प्रवासियों को वापस भेजा गया था, और इसके बाद भी हर साल सैकड़ों अवैध प्रवासियों को डिपोर्ट किया गया है।” उन्होंने कहा कि अमेरिका के साथ यह कार्रवाई संयुक्त राष्ट्र की संधियों के तहत की जाती है, जो लीगल माइग्रेशन को सपोर्ट करती है और अवैध माइग्रेशन को हतोत्साहित करती है।
जयशंकर ने यह भी कहा कि अवैध अप्रवासी अमानवीय हालात में फंसे हुए थे, और उन्हें वापस भेजे जाने की प्रक्रिया पूरी तरह से अमेरिकी नियमों के तहत की गई। विदेश मंत्री ने यह स्पष्ट किया कि यह कोई पहली बार नहीं है, जब इस तरह के डिपोर्टेशन की प्रक्रिया अपनाई गई है। 2012 से यह नियम लागू है और तब से हर साल अवैध अप्रवासियों को वापस भेजा जाता है।
कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला का तीखा सवाल
विदेश मंत्री के बयान के बाद कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इस मुद्दे पर तीखे सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “हाथ में हथकड़ी, पांव में जंजीर, भारत मां का सीना छलनी है। 40 घंटे की यात्रा, एक टॉयलेट, इसमें महिलाएं भी थीं। इन्हें अमानवीय तरीके से भारत भेजा गया। क्या सरकार जानती है कि 7 लाख 25 हजार भारतीय अमेरिका में हैं जिन्हें इसी तरह से भेजने की तैयारी हो रही है?”
सुरजेवाला ने यह भी पूछा कि कितने भारतीयों को अमेरिका ने डिटेंशन सेंटर में बंद कर रखा है और क्या सरकार ने इन लोगों को काउंसलर एक्सेस दिया है। उन्होंने सवाल उठाया, “कोलंबिया जैसे छोटे देश ने अपने नागरिकों को बेइज्जत करने के मामले में सख्त कार्रवाई की, तो हमारे देश की सरकार क्यों नहीं ऐसा कदम उठाती?”
सरकार और विपक्ष के बीच तकरार
यह मुद्दा संसद में भी जोर पकड़ चुका है और विपक्ष ने इस मामले में सरकार से स्पष्ट जवाब की मांग की है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि डिपोर्ट किए गए भारतीयों को अमानवीय तरीके से भेजा गया है, जबकि सरकार यह कह रही है कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने बयान में यह भी कहा कि इस तरह के डिपोर्टेशन से भारतीयों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए निरंतर काम किया जा रहा है। हालांकि, विपक्ष इसे एक संवेदनशील और गंभीर मुद्दा मानता है और सरकार से इस मामले में अधिक पारदर्शिता की मांग कर रहा है।