चंडीगढ़ , 5 फरवरी 2025: भारतीय संस्कृति और परंपराओं का प्रभाव दुनियाभर में देखा जाता है, लेकिन सूरीनाम जैसे देश में यह प्रभाव कुछ खास तरीके से जीवित है। करीब 150 साल पहले, जब भारत ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा था, भारतीय मजदूरों को सूरीनाम भेजा गया था। ये लोग मुख्यतः बिहार और उत्तर प्रदेश से थे, और वहां गन्ने के खेतों में काम करने के लिए गए थे।
आज सूरीनाम में भारतीय मूल के लोगों की संख्या 30 प्रतिशत से अधिक है। ये लोग आज भी भोजपुरी, हिंदी और संस्कृत बोलते हैं और भारतीय खानपान जैसे दाल-भात, रोटी-सब्जी, अचार और चटनी को पसंद करते हैं। भारतीय संस्कृति यहां के त्योहारों और पारंपरिक रीति-रिवाजों में भी झलकती है, जैसे कि होली, दिवाली और छठ पूजा धूमधाम से मनाए जाते हैं।
सूरीनाम के राष्ट्रपति चंद्रिका प्रसाद संतोखी भी भारतीय मूल के हैं और उन्होंने अपनी शपथ संस्कृत में ली थी, जो भारतीयों के लिए गर्व की बात है। यहां तक कि सूरीनाम के लोग क्रिकेट और बॉलीवुड को भी बेहद पसंद करते हैं। शाहरुख खान, अमिताभ बच्चन और सलमान खान जैसे सितारे यहां के लोगों के दिलों में बसे हुए हैं, और हिंदी गाने सुनना उनका शौक है।
भारत और सूरीनाम के बीच गहरे सांस्कृतिक और राजनीतिक संबंध हैं। भारत ने सूरीनाम को आर्थिक और तकनीकी सहायता प्रदान की है, जबकि सूरीनाम के लोग भारतीय संस्कृति को अपना मानते हैं और उसे गर्व से अपनाते हैं। सूरीनाम आज भारतीय संस्कृति के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में उभरा है, जहां भोजपुरी की गूंज अब भी सुनाई देती है।