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बजट सुव्यवस्थित आर्थिक योजना के बजाय चुनाव-अनुकूल दस्तावेज: कुमारी सैलजा

चंडीगढ़, 1 फरवरी: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री और सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा ने केंद्रीय बजट 2025-26 को चुनाव-अनुकूल दस्तावेज बताते हुए इसकी तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह बजट साहसिक आर्थिक सुधारों से रहित है और बेरोजगारी व महंगाई जैसी गंभीर समस्याओं के समाधान में असफल रहा है।

 

कुमारी सैलजा ने बजट को पक्षपातपूर्ण बताते हुए कहा कि इसमें एनडीए शासित राज्यों को प्राथमिकता दी गई है, जबकि गैर-भाजपा शासित राज्यों की उपेक्षा की गई है। उन्होंने कहा कि मध्यम वर्ग को कोई ठोस राहत नहीं दी गई, कर स्लैब में बदलाव की उम्मीद थी लेकिन वेतनभोगी वर्ग और छोटे व्यापारियों को किसी भी प्रकार की वित्तीय सहायता नहीं मिली। उन्होंने इसे आर्थिक सुधार को बढ़ावा देने का एक खोया हुआ अवसर करार दिया।

 

बेरोजगारी और किसानों के मुद्दों को किया नजरअंदाज

कुमारी सैलजा ने कहा कि बजट में बढ़ती बेरोजगारी से निपटने के लिए कोई स्पष्ट रोडमैप नहीं दिया गया है। उन्होंने बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन कार्यक्रम की अनुपस्थिति को सरकार की जमीनी हकीकत से कटाव का प्रतीक बताया।

 

उन्होंने कहा कि किसानों की समस्याओं को हल करने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और कृषि ऋण माफी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को नजरअंदाज कर दिया गया। उन्होंने कहा कि किसान अपनी आय में वृद्धि और निर्णायक सरकारी हस्तक्षेप की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन उन्हें केवल अस्पष्ट वादों का एक और दौर मिला।

 

स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार योजनाओं के लिए बजट में कमी

कुमारी सैलजा ने कहा कि मनरेगा, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों के लिए आवंटन में मुद्रास्फीति और बढ़ती मांग के बावजूद कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई। उन्होंने कहा कि MSME क्षेत्र, जो बड़े पैमाने पर रोजगार प्रदान करता है, को ऋण गारंटी के अलावा कोई विशेष सहायता नहीं दी गई।

 

उन्होंने मेडिकल कॉलेजों और स्मार्ट सिटी परियोजनाओं को लेकर सरकार पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने और 500 शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने का वादा किया था, लेकिन आज तक कई जगहों पर यह घोषणाएं अधूरी पड़ी हैं।

 

जनता को राहत नहीं, महंगाई का डर

कुमारी सैलजा ने सरकार पर उद्योगपतियों का अरबों रुपये का कर्ज माफ करने का आरोप लगाया, जबकि किसानों और मजदूरों के लिए किसी भी प्रकार की राहत नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि पहले बजट को लेकर जनता में उत्साह होता था, लेकिन अब केवल महंगाई बढ़ने का डर रहता है।

 

उन्होंने सरकार से अपील की कि बजट घोषणाओं को सिर्फ कागजों तक सीमित न रखकर जमीनी हकीकत में तब्दील किया जाए और देश की आर्थिक चुनौतियों का ठोस समाधान पेश किया जाए।

 

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