दिल्ली,01 फरवरी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा कि अब 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई इनकम टैक्स नहीं लिया जाएगा। यह बदलाव 2025-26 के बजट के तहत पेश किया गया है, जिससे मध्यवर्गीय और निम्न आय वर्ग के लोगों को राहत मिलेगी।
नई इनकम टैक्स स्लैब की घोषणा
अब तक, भारत में इनकम टैक्स की दरें कई बार बदल चुकी हैं, और हर बार इनका उद्देश्य आम जनता को राहत देना और देश के आर्थिक विकास के साथ तालमेल बिठाना रहा है। वित्त मंत्री द्वारा की गई नई घोषणा के अनुसार, 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर कोई टैक्स नहीं लिया जाएगा। इससे उन लोगों को फायदा होगा, जिनकी आय अब 12 लाख रुपये तक सीमित है, खासकर वे लोग जो न्यू टैक्स रिजीम का पालन कर रहे हैं।
पुरानी टैक्स दरों की समीक्षा
भारत में आयकर स्लैब समय-समय पर बदलते रहे हैं। 1997-98 में पी. चिदंबरम ने पहली बार आयकर की दरों में महत्वपूर्ण बदलाव किए थे, जिसमें 5 लाख रुपये से ऊपर की आय पर 40% का कर लगाया गया था। उसके बाद, 2009-10 में व्यक्तिगत आयकर पर अधिभार की समाप्ति की गई थी, लेकिन 2010-11 में उच्च आय वर्ग पर 10% का अधिभार लागू किया गया।
नरेंद्र मोदी सरकार ने 2014-15 में नई कर व्यवस्था पेश की, जिसमें 2.5 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं था, जबकि 2.5 लाख से 5 लाख तक की आय पर 10% और 5 लाख से 10 लाख रुपये तक की आय पर 20% कर लगाया गया।
2018-19 में सरकार ने स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर को बढ़ाकर 4% किया, जिससे उच्च आय वर्ग पर अतिरिक्त बोझ पड़ा। वहीं, 2020-21 में कोविड-19 के प्रभाव के बाद कुछ करों को स्थगित किया गया, लेकिन उच्च आय वर्ग के लिए टैक्स दरें स्थिर रहीं।
2024-25 के दौरान लागू इनकम टैक्स स्लैब
2024-25 के वित्तीय वर्ष में न्यू टैक्स रिजीम के तहत, 3 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं था। वहीं, 3 से 7 लाख रुपये तक की आय पर 5%, 7 से 10 लाख रुपये तक पर 10% और 10 से 12 लाख रुपये तक की आय पर 15% टैक्स देना होता था।
नई व्यवस्था का लाभ
नई व्यवस्था के तहत, 12 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स नहीं लेने से, खासकर मध्यवर्गीय वर्ग को बड़ी राहत मिलेगी। इसके अतिरिक्त, यह कदम छोटे कारोबारियों और नौकरीपेशा लोगों के लिए भी फायदेमंद होगा।
वित्त मंत्री के मुताबिक, यह कदम अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने और आम आदमी की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के उद्देश्य से उठाया गया है। इस कदम के माध्यम से सरकार ने एक बार फिर से यह संदेश दिया है कि वह कराधान व्यवस्था को सरल, पारदर्शी और समान बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
आगे की दिशा
आगे चलकर सरकार इस योजना के तहत और भी सुधार की दिशा में काम कर सकती है, ताकि टैक्स प्रणाली को और अधिक लोगों के लिए सुलभ और लाभकारी बनाया जा सके।
यह बदलाव टैक्सदाता वर्ग में एक सकारात्मक बदलाव लेकर आएगा, जिससे आम नागरिकों को अपनी आय पर कम टैक्स का बोझ महसूस होगा।