वृंदावन, 25 जनवरी 2025: केंद्र सरकार ने वृंदावन स्थित प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर को विदेशी अंशदान (FCRA) लाइसेंस प्रदान कर दिया है। अब विदेशी श्रद्धालु भी इस मंदिर में खुले तौर पर दान कर सकेंगे। यह लाइसेंस मंदिर की प्रबंध समिति द्वारा विदेशी दान प्राप्त करने के उद्देश्य से आवेदन करने के बाद मिला है।
कोर्ट की समिति ने किया था आवेदन बांके बिहारी मंदिर का प्रबंधन वर्तमान में न्यायालय द्वारा गठित एक समिति देख रही है, जिसे मंदिर के संचालन के लिए नियुक्त किया गया है। पहले यह मंदिर पुजारी परिवार के प्रबंधन में था, लेकिन राज्य सरकार के हस्तक्षेप के बाद मंदिर का प्रबंधन अदालत की बनाई समिति को सौंपा गया। इस समिति ने FCRA लाइसेंस के लिए आवेदन किया था, ताकि विदेशों से दान प्राप्त किया जा सके और उसे मंदिर के कार्यों में उपयोग किया जा सके।
मंदिर के पास 480 करोड़ का कोष मंदिर के पास वर्तमान में लगभग 480 करोड़ रुपये का कोष है, जिसमें सोना, चांदी और अन्य कीमती सामान शामिल हैं। इसके अलावा, इस कोष में विदेशी मुद्रा भी मौजूद है। FCRA लाइसेंस प्राप्त करने के बाद, मंदिर को भविष्य में और विदेशी दान प्राप्त करने का अधिकार मिलेगा, जिससे यह कोष और भी बढ़ सकता है।
FCRA रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता विदेशों से दान प्राप्त करने के लिए FCRA रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। FCRA, 2010 के तहत, किसी भी संगठन या मंदिर को विदेशी दान प्राप्त करने के लिए सरकार से लाइसेंस प्राप्त करना होता है। इसी प्रक्रिया के तहत बांके बिहारी मंदिर को अब यह लाइसेंस मिल चुका है, जिससे विदेशों से दान प्राप्त करना अब कानूनी रूप से संभव हो सकेगा।
बांके बिहारी मंदिर का ऐतिहासिक महत्व बांके बिहारी मंदिर का निर्माण 550 साल पहले हुआ था और यह भारतीय श्रद्धालुओं के साथ-साथ विदेशी भक्तों के बीच भी बेहद लोकप्रिय है। मंदिर में पूजा और प्रबंधन का काम कई पीढ़ियों से पुजारी परिवार द्वारा किया जा रहा था। अब कोर्ट द्वारा गठित प्रबंध समिति इस मंदिर का संचालन कर रही है।
यह कदम मंदिर के विकास और विदेशी श्रद्धालुओं से दान प्राप्त करने के लिहाज से महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, जिससे मंदिर के कार्यों में और अधिक संसाधन जुटाए जा सकेंगे।