चंडीगढ़,25 जनवरी : हरियाणा में सड़क दुर्घटनाओं में घायल व्यक्तियों को कैशलेस और निशुल्क इलाज उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू की गई पायलट परियोजना पर हरियाणा के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) शत्रुजीत कपूर ने एक समीक्षा बैठक की। यह बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित की गई, जिसमें यातायात एवं राजमार्ग पुलिस महानिदेशक हरदीप दून सहित राज्य के अन्य वरिष्ठ ट्रैफिक अधिकारी भी उपस्थित थे।
डीजीपी कपूर ने बताया कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की इस पहल का उद्देश्य दुर्घटनाओं में घायल लोगों को समय पर और निशुल्क इलाज प्रदान करना है। उन्होंने कहा, “यह योजना पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर भारत सरकार द्वारा शुरू की गई है और इसके तहत घायल व्यक्ति को सड़क दुर्घटना की तिथि से सात दिनों तक का मुफ्त उपचार दिया जाएगा। इसके लिए सरकार ने हरियाणा में 1,228 सरकारी और निजी अस्पतालों को अनुबंधित किया है। इस योजना को आयुष्मान भारत योजना के साथ जोड़ा गया है।”
सात दिन तक मिलेगा डेढ़ लाख तक का इलाज
डीजीपी ने बताया कि इस योजना के तहत प्रति व्यक्ति डेढ़ लाख रुपये तक के मुफ्त उपचार की सुविधा है। योजना का मुख्य उद्देश्य है कि सड़क हादसों में घायल व्यक्ति को शुरुआती एक घंटे के अंदर इलाज मिल सके। यह ‘गोल्डन ऑवर’ उसकी जान बचाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है।
उन्होंने पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे अस्पताल प्रबंधन और एंबुलेंस सेवाओं के साथ बेहतर समन्वय स्थापित करें। साथ ही, पुलिस थाने में दुर्घटना की जानकारी मिलते ही शुरुआती छह घंटे के भीतर सूचना सत्यापित करें, ताकि घायल व्यक्ति को तुरंत लाभ मिल सके।
हिट एंड रन मामलों में मुआवजे का प्रावधान
बैठक में डीजीपी कपूर ने हिट एंड रन मामलों की समीक्षा करते हुए कहा कि कई बार अज्ञात वाहन चालक दुर्घटनास्थल से फरार हो जाते हैं। ऐसे मामलों में पीड़ितों के लिए मुआवजे का प्रावधान है।
उन्होंने बताया, “अगर हिट एंड रन मामले में घायल व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसके परिवार को 2 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाता है। वहीं, घायल व्यक्ति को 50,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है।”
हरियाणा में एक नई शुरुआत
सरकार की इस पहल से सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। इससे न केवल उनकी जान बचाने में मदद मिलेगी, बल्कि इलाज के भारी खर्च से भी उन्हें राहत मिलेगी। डीजीपी ने आशा जताई कि यह योजना दुर्घटना पीड़ितों के इलाज में एक नया और सकारात्मक बदलाव लाएगी।