चंडीगढ़, 14 जनवरी: हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने प्रदेश की सहकारी चीनी मिलों की वित्तीय स्थिति सुधारने और उन्हें घाटे से उभारने के लिए “जैव ईंधन ब्रिकेटिंग प्लांट” स्थापित करने के निर्देश दिए हैं। यह पहल चीनी मिलों के राजस्व में वृद्धि के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देगी।
मुख्यमंत्री ने आज चंडीगढ़ में नारायणगढ़ शुगर मिल की समीक्षा बैठक के दौरान कहा कि कैथल सहकारी चीनी मिल में पहले ही पायलट प्रोजेक्ट के रूप में जैव ईंधन ब्रिकेटिंग प्लांट का कार्य शुरू हो चुका है। इस प्लांट में गन्ने के बैगास (उप-उत्पाद) को ब्रिकेट के रूप में तैयार कर थर्मल पावर प्लांट और अन्य उपभोक्ताओं को बेचा जा रहा है। इससे चीनी मिल की वित्तीय स्थिति में सुधार हुआ है।
प्रदेश की अन्य चीनी मिलों में प्लांट लगाने की योजना
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि कैथल मॉडल को अपनाते हुए अन्य सहकारी चीनी मिलों में भी ऐसे प्लांट लगाए जाएं। यह कदम मिलों की कार्यक्षमता बढ़ाने के साथ-साथ घाटे को कम करने में मददगार साबित होगा। उन्होंने जोर दिया कि सहकारी चीनी मिलों को घाटे से उभारने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएं।
चीनी मिलों की वर्तमान स्थिति
बैठक में बताया गया कि पिराई सत्र 2024-25 में अब तक राज्य की सहकारी चीनी मिलों ने 113.56 लाख क्विंटल गन्ने की पिराई की है। इससे 8.70% औसत चीनी रिकवरी के साथ 9.18 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन हुआ है।
पिछले पिराई सत्र 2023-24 में रोहतक, सोनीपत, जींद, पलवल, महम, कैथल और गोहाना की चीनी मिलों ने 7.14 लाख क्विंटल बैगास बचाकर 1630.31 लाख रुपये का अतिरिक्त राजस्व अर्जित किया था।
किसानों और चीनी मिलों के हित में उठाए जा रहे कदम
मुख्यमंत्री सैनी ने कहा कि सहकारी चीनी मिलें किसानों और राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं। राज्य सरकार चीनी मिलों और किसानों के हित में ठोस कदम उठा रही है। उन्होंने सहकारी चीनी मिलों की कार्यकुशलता में सुधार के लिए अब तक हुए प्रयासों पर संतोष जताया।
शुगरफेड चेयरमैन के सुझाव
बैठक में शुगरफेड चेयरमैन धर्मबीर सिंह डागर ने चीनी मिलों की वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए सुझाव दिए। उन्होंने बताया कि जैव ईंधन ब्रिकेटिंग प्लांट का मॉडल चीनी मिलों के लिए एक बड़ी सफलता बन सकता है।