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हरियाणा के गरीब परिवारों के लिए खुशखबरी: जल्द मिलेंगे 100-100 गज के प्लॉट, मकान निर्माण के लिए आर्थिक सहायता भी

चंडीगढ़, 14 जनवरी: हरियाणा सरकार गरीब परिवारों को स्थायी आशियाना उपलब्ध कराने के लिए तेजी से काम कर रही है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने आज हाउसिंग फॉर ऑल विभाग की समीक्षा बैठक में प्रदेश के पात्र परिवारों के लिए 100-100 गज के प्लॉट और मकान निर्माण के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करने की योजनाओं का विस्तार से जायजा लिया।

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना’ और ‘प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना’ के तहत गरीब और बेघर परिवारों को जल्द ही प्लॉट और मकान उपलब्ध कराए जाएंगे। इस योजना के तहत पात्र परिवारों को विकसित कॉलोनियों में सभी बुनियादी सुविधाओं के साथ प्लॉट दिए जाएंगे। इन कॉलोनियों के लिए 100 करोड़ रुपये की राशि पहले ही स्वीकृत की जा चुकी है।

 

योजना का चरणबद्ध क्रियान्वयन

मुख्यमंत्री ने बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्लॉट या फ्लैट आबंटन की प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से पूरी की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि पात्र परिवारों को लोन की सुविधा उपलब्ध कराई जाए ताकि भुगतान में आने वाली दिक्कतें दूर हों। इसके लिए बैंक के माध्यम से फाइनेंसिंग की व्यवस्था की जाएगी।

 

कौन उठा सकता है योजना का लाभ?

योजना के तहत उन परिवारों को लाभ दिया जाएगा:

 

1. जिनके पास खुद का घर या जमीन नहीं है।

2. जिनकी वार्षिक आय 1.80 लाख रुपये से कम है।

 

मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत 5 लाख से अधिक लोगों ने 100 गज के प्लॉट के लिए आवेदन किया है। पात्र लाभार्थियों को अलग-अलग चरणों में प्लॉट दिए जाएंगे। महाग्राम पंचायतों में 50 गज के प्लॉट भी आबंटित किए जाएंगे।

 

इसी तरह, ‘मुख्यमंत्री शहरी आवास योजना’ के तहत 2.89 लाख से अधिक शहरी गरीब परिवारों ने आवेदन किया है। इनमें से 15,256 परिवारों को पिछले साल प्रोविजनल अलॉटमेंट लेटर जारी किए गए थे।

 

डिजिटल प्रणाली से पारदर्शिता में सुधार

मुख्यमंत्री ने हाउसिंग बोर्ड हरियाणा के प्रॉपर्टी मैनेजमेंट सिस्टम को परिवार पहचान पत्र से जोड़ने के निर्देश दिए हैं। इस सिस्टम के जरिए संपत्ति का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार किया गया है, जिससे पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित होगी।

 

बैठक में यह भी बताया गया कि प्रॉपर्टी मैनेजमेंट सिस्टम को जमाबंदी पोर्टल के साथ एकीकृत कर दिया गया है। इससे संपत्तियों का निर्बाध पंजीकरण संभव हुआ है और आवंटियों को बार-बार कार्यालय के चक्कर लगाने की आवश्यकता नहीं होगी।

 

 

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