चंडीगढ़ 08 जनवरी। हरियाणा-पंजाब सीमा पर खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की हालत गंभीर हो गई है। उनका अनशन आज 44वें दिन में प्रवेश कर चुका है, और वे अब बोलने में भी कठिनाई महसूस कर रहे हैं। उनकी हालत इतनी नाजुक हो गई है कि वह किसी से बात नहीं कर पा रहे हैं।
किसान नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर डल्लेवाल की स्थिति और बिगड़ी तो केंद्र सरकार देशभर में पैदा होने वाली परिस्थितियों को संभालने में सक्षम नहीं होगी। किसान नेताओं ने यह भी तय किया है कि 26 जनवरी को पूरे देश में ट्रैक्टर मार्च आयोजित किया जाएगा, और इसके बारे में जल्द ही विस्तृत योजना जारी की जाएगी।
रात में तीन बार सेहत विभाग द्वारा चेकअप
सोमवार रात करीब सवा 8 बजे डल्लेवाल की तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। उनका रक्तचाप 77/45 और पल्स रेट 38 से भी नीचे गिर गया था। किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने बताया कि जब डल्लेवाल के पैरों को थोड़ा ऊपर उठाया जाता है, तो उनका ब्लड प्रेशर स्थिर होता है, लेकिन अन्यथा यह और भी नीचे गिर जाता है। रात ढाई बजे तक डॉक्टर्स की कोशिशों से उनका रक्तचाप 95/70 पर थोड़ा स्थिर हो पाया। फिलहाल उनकी हालत नाजुक बनी हुई है।
अधिकारियों ने किसानों से मुलाकात की
मंगलवार सुबह सीनियर पुलिस अधिकारी नरेंद्र भार्गव और एसएसपी पटियाला नानक सिंह खनौरी पहुंचे और उन्होंने किसान नेताओं से मुलाकात की। अधिकारियों ने बताया कि जब डल्लेवाल की हालत बिगड़ी, तो सरकारी डॉक्टरों की टीम मौके पर मौजूद थी और रात में तीन बार उनका चेकअप किया गया। हालांकि डल्लेवाल ने इलाज से इनकार कर दिया है, और उन्हें मनाने की कोशिशें जारी हैं।
सुप्रीम कोर्ट में डल्लेवाल पर सुनवाई
डल्लेवाल के मामले को लेकर अब तक सुप्रीम कोर्ट में 28 दिनों में 8 बार सुनवाई हो चुकी है। कोर्ट ने पंजाब सरकार को फटकार लगाई थी और डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती करने के लिए केंद्र से मदद लेने को कहा था। कोर्ट ने यह भी कहा कि डल्लेवाल के हालात जानबूझकर बिगाड़े जा रहे हैं। अब इस मामले में 10 जनवरी को फिर से सुनवाई होगी।
13 जनवरी को जलाया जाएगा कृषि नीति का ड्राफ्ट
किसान नेता सरवण सिंह पंधेर ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा तैयार की गई नई कृषि मार्केटिंग पॉलिसी का ड्राफ्ट किसानों के विरोध का कारण बन चुका है। इसे रद्द किए गए कृषि कानूनों का नया रूप माना जा रहा है। किसानों ने घोषणा की है कि 13 जनवरी को लोहड़ी के दिन पूरे देश में इस ड्राफ्ट की प्रतियों को जलाया जाएगा। इसके अलावा 10 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुतले भी जलाने की योजना बनाई गई है।
किसान नेताओं ने केंद्र से अपील की है कि यदि डल्लेवाल की स्थिति और बिगड़ी, तो पूरे देश में हालात बिगड़ सकते हैं और सरकार को इसकी जिम्मेदारी उठानी पड़ेगी।