दिल्ली,03 जनवरी 2025। दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस ने बड़े दांव खेले हैं। आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रभाव को चुनौती देने के लिए कांग्रेस ने अपने दिग्गज नेताओं को आप के प्रमुख उम्मीदवारों के खिलाफ मैदान में उतारने का फैसला किया है। इस कदम को कांग्रेस के खोए हुए जनाधार को वापस लाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
नई दिल्ली सीट पर आर-पार की लड़ाई
नई दिल्ली सीट, जहां से आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चुनाव लड़ रहे हैं, पर कांग्रेस ने अपने अनुभवी नेता और पूर्व सांसद संदीप दीक्षित को उतारा है। संदीप दीक्षित कांग्रेस के लिए एक मजबूत चेहरा हैं, और उनके मैदान में उतरने से यह मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है।
कालकाजी में आतिशी बनाम अलका लांबा
आप की लोकप्रिय नेता और वर्तमान मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ कांग्रेस ने अपनी तेज-तर्रार नेता अलका लांबा को कालकाजी सीट से चुनावी मैदान में उतारा है। अलका लांबा का सियासी अनुभव और आतिशी की लोकप्रियता इस मुकाबले को त्रिकोणीय बना सकती है, खासकर जब भाजपा भी अपने उम्मीदवार के साथ तैयार है।
कांग्रेस की रणनीति और संभावनाएं
विशेषज्ञों का मानना है कि कांग्रेस इस बार दिल्ली में आप के प्रभाव को कमजोर करने और भाजपा को चुनौती देने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। आप के खिलाफ प्रमुख सीटों पर बड़े नेताओं को उतारने का यह कदम कांग्रेस के लिए जोखिम भरा लेकिन अहम हो सकता है।
भाजपा की भूमिका
दिल्ली चुनाव में भाजपा भी सक्रिय भूमिका निभा रही है। हालांकि भाजपा का अभी तक मुख्यमंत्री पद का चेहरा साफ नहीं हुआ है, लेकिन पार्टी का ध्यान आप और कांग्रेस के बीच मुकाबले का फायदा उठाने पर है।
राजनीतिक सरगर्मी तेज
दिल्ली में चुनाव प्रचार पूरे जोर-शोर से जारी है। रैलियों, जनसभाओं और डिजिटल कैंपेन के जरिए सभी पार्टियां मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही हैं। दिल्ली की सियासी फिजा में यह चुनाव त्रिकोणीय संघर्ष के संकेत दे रहा है।
अब देखना यह है कि कांग्रेस की यह रणनीति कितना असर दिखा पाती है। क्या कांग्रेस आप के किले में सेंध लगा पाएगी, या फिर आप और भाजपा के बीच ही मुकाबला सिमट जाएगा? इसका जवाब चुनावी नतीजों के बाद ही मिलेगा।