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हौसले की उड़ान: बिना बाजुओं वाले क्रिकेटर आमिर लोन की इनडोर क्रिकेट अकादमी से कश्मीर में नई उम्मीद की किरण

चंडीगढ़ |”बिना बाजुओं के, लेकिन असीम साहस के साथ।” कश्मीर के क्रिकेटर आमिर हुसैन लोन ने अपने जीवन की हर मुश्किल को मात देकर एक ऐसा सपना देखा, जिसे पूरा करने की प्रेरणा हर किसी को मिले। आठ साल की उम्र में एक दुर्घटना ने उनके दोनों हाथ छीन लिए, लेकिन उनके जुनून ने उन्हें कभी हार मानने नहीं दी। अब, वही जुनून उन्हें अपने जीवन के सबसे बड़े सपने को साकार करने के करीब ले आया है – एक इनडोर क्रिकेट अकादमी।

 

अडानी फाउंडेशन और आर्यन्स ग्रुप की मदद से सपना होगा साकार

चंडीगढ़ प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह घोषणा की गई कि अडानी फाउंडेशन ने अनंतनाग जिले के बिजबेहरा गांव में क्रिकेटर आमिर लोन की इनडोर क्रिकेट अकादमी के लिए 67 लाख 60 हजार रुपये का आर्थिक सहयोग प्रदान किया है। आर्यन्स ग्रुप ऑफ कॉलेजेस के ब्रांड एंबेसडर आमिर के लिए यह कदम न केवल उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट है, बल्कि कश्मीर के सैकड़ों युवा क्रिकेटरों के सपनों को नई उड़ान देने का भी जरिया बनेगा।

 

एकेडमी जो बदलेगी कश्मीर का भविष्य

आमिर की इस अकादमी में लगभग 100 बच्चों को मुफ्त क्रिकेट कोचिंग दी जाएगी। यहां दो टर्फ पिच, अत्याधुनिक सुविधाएं और इनडोर प्रशिक्षण की व्यवस्था होगी, जो बच्चों को हर मौसम में प्रशिक्षण लेने का अवसर देगी। आमिर ने बताया, “कश्मीर की बर्फबारी और सर्दी की वजह से खिलाड़ियों को बहुत दिक्कत होती थी। इस अकादमी से यह परेशानी दूर हो जाएगी। हम बच्चों को हर हाल में खेलने का मौका देंगे।”

 

सचिन तेंदुलकर की प्रेरणा और पत्नी का बलिदान

आमिर का नाम पहली बार तब चर्चा में आया, जब क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने उनके हौसले को सलाम किया था। आमिर का पैरों से बॉलिंग करना और गर्दन से बैट पकड़कर बल्लेबाजी करना सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। उनके इस सफर में उनकी पत्नी ने भी बड़ा योगदान दिया, जिन्होंने उनके जुनून को बनाए रखने के लिए अपने गहने तक बेच दिए।

 

“मैंने कभी हार नहीं मानी”: आमिर

अपने संघर्ष को याद करते हुए आमिर ने कहा, “जब मैंने अपने दोनों हाथ खो दिए, तो लगा कि अब सब खत्म हो गया। लेकिन मैंने अपने सपनों को कभी मरने नहीं दिया। मैंने दिव्यांग कैटेगरी में जम्मू-कश्मीर का प्रतिनिधित्व किया और अब मेरी यही कोशिश है कि हमारे गांव और आसपास के बच्चे भी राष्ट्रीय स्तर पर खेलें।”

 

हौसले और जुनून की मिसाल

आर्यन्स ग्रुप ऑफ कॉलेजेस के फाउंडर डॉ. अंशु कटारिया ने कहा, “आमिर जैसे लोग दिखाते हैं कि यदि जुनून और मेहनत हो, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती। यह अकादमी कश्मीर के बच्चों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचने का एक माध्यम बनेगी।”

 

एक सपना, जो अब सच हो रहा है

आमिर लोन की यह इनडोर क्रिकेट अकादमी न केवल उनके संघर्ष की कहानी कहती है, बल्कि यह कश्मीर के लिए उम्मीद की नई किरण भी है। यहां से निकलने वाले खिलाड़ी यह साबित करेंगे कि कश्मीर केवल खूबसूरती की वादी नहीं, बल्कि प्रतिभा का भी गढ़ है।

 

आमिर का यह सफर उन सभी के लिए एक प्रेरणा है, जो जिंदगी की कठिनाइयों के सामने घुटने टेक देते हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया कि अगर हौसले मजबूत हों,तो नामुमकिन कुछ भी नहीं।

 

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