चंडीगढ़: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के निधन के बाद उन्हें श्रद्धांजलि देने का सिलसिला जारी है। उनके निधन के उपरांत प्रदेशभर में पार्टी कार्यकर्ताओं और आम जनता को श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर देने के लिए 27 दिसंबर से 29 दिसंबर तक प्रदेशभर में कलश यात्रा आयोजित की जाएगी। यह यात्रा हरियाणा के सभी जिलों से होकर गुजरेगी और विभिन्न स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त ने दी श्रद्धांजलि
25 दिसंबर को बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त और गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने तेजा खेड़ा फार्म हाउस में पहुंचकर ओम प्रकाश चौटाला को श्रद्धांजलि अर्पित की। इससे पहले बाबा रामदेव, सांसद नवीन जिंदल, पूर्व कैबिनेट मंत्री जेपी दलाल और अन्य गणमान्य नेता फार्म हाउस पर शोक व्यक्त कर चुके हैं।
कलश यात्रा का कार्यक्रम
27 दिसंबर को यह यात्रा फतेहाबाद से शुरू होगी और उसी दिन हिसार, भिवानी, दादरी, महेंद्रगढ़-नारनौल, और रेवाड़ी होते हुए गुरुग्राम में रात्रि विश्राम करेगी। 28 दिसंबर को गुरुग्राम से यात्रा फरीदाबाद, पलवल, मेवात और झज्जर होते हुए आगे बढ़ेगी। 29 दिसंबर को यह यात्रा पानीपत, जींद, कैथल, करनाल, यमुनानगर, पंचकूला और अंबाला होते हुए कुरुक्षेत्र में समाप्त होगी।
तीर्थ स्थलों पर अस्थि विसर्जन
स्वर्गीय ओम प्रकाश चौटाला की अस्थियों को राजस्थान, पंजाब और उत्तर प्रदेश के प्रमुख तीर्थ स्थलों पर भी विसर्जित किया जाएगा। 31 दिसंबर को श्रद्धांजलि सभा के बाद उनकी अस्थियां पुष्कर (राजस्थान), आनंदपुर साहिब (पंजाब) और प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) में विसर्जित की जाएंगी।
हरिद्वार में हुआ अस्थि विसर्जन
25 दिसंबर को उनके पोत्र कर्ण चौटाला और अर्जुन चौटाला ने हरिद्वार जाकर गंगा नदी में उनकी अस्थियों का विसर्जन किया। इस दौरान रस्मों के अनुसार पूजा-पाठ भी किया गया।
श्रद्धांजलि सभा का आयोजन
31 दिसंबर को गांव चौटाला के चौ. साहबराम स्टेडियम में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाएगा। इसमें देशभर से पार्टी कार्यकर्ता और गणमान्य लोग शामिल होंगे।
चौटाला के निधन से हरियाणा में शोक की लहर
हरियाणा के डबवाली विधानसभा क्षेत्र के गांव तेजा खेड़ा में 20 दिसंबर को उनका निधन हुआ था। प्रदेशभर में उनके समर्थक और किसान नेता उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए तेजा खेड़ा फार्म हाउस पहुंच रहे हैं।
ओम प्रकाश चौटाला के निधन से केवल हरियाणा ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों के किसान और राजनीतिक कार्यकर्ता भी शोकाकुल हैं। उनकी याद में यह कलश यात्रा और अस्थि विसर्जन कार्यक्रम उनकी लोकप्रियता और प्रभाव का प्रमाण है।