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ओपी चौटाला की रस्म पगड़ी और श्रद्धांजलि सभा, दो किताबें जल्द आएंगी: एक आत्मकथा, दूसरी विदेश यात्रा पर

ओपी चौटाला की रस्म पगड़ी और श्रद्धांजलि सभा, दो किताबें जल्द आएंगी: एक आत्मकथा, दूसरी विदेश यात्रा पर

सिरसा, 22 दिसंबर: हरियाणा के पांच बार मुख्यमंत्री रहे ओमप्रकाश चौटाला की रस्म पगड़ी और श्रद्धांजलि सभा 31 दिसंबर को सिरसा के चौधरी देवीलाल स्टेडियम में आयोजित की जाएगी। यह सभा सुबह 11 बजे से शुरू होगी, जिसमें उनके परिवार के सदस्य, समर्थक, और राजनीतिक नेता भाग लेंगे।

ओपी चौटाला के निधन के बाद उनके परिवार ने दो किताबों के प्रकाशित होने की जानकारी दी है। इनमें से एक किताब उनकी आत्मकथा होगी, जबकि दूसरी किताब उनके 119 देशों की यात्रा पर आधारित होगी। परिवार के सूत्रों के अनुसार, ओपी चौटाला ने अपनी जीवन यात्रा पर लगातार डायरी लिखी थी, जिसे उर्दू में लिखा गया था। अब इस डायरी का हिंदी में अनुवाद पूरा किया जा चुका है, और जल्द ही उनकी आत्मकथा का प्रकाशन होगा। वहीं, उनकी दूसरी किताब ‘मेरी विदेश यात्रा’ में उन्होंने अमेरिका, चीन, रूस, जर्मनी, फ्रांस, पुर्तगाल, स्पेन, डेनमार्क, हंगरी, पोलैंड, यूनान, ऑस्ट्रिया, नेपाल, कुवैत, दुबई, स्कॉटलैंड जैसे 119 देशों की यात्रा के अनुभव साझा किए हैं।

ओपी चौटाला का अंतिम संस्कार और राजकीय सम्मान

ओपी चौटाला का निधन 20 दिसंबर को दिल का दौरा पड़ने से हुआ, और उनका अंतिम संस्कार 21 दिसंबर को सिरसा के तेजा खेड़ा गांव स्थित फार्म हाउस में राजकीय सम्मान के साथ किया गया। इस अवसर पर उनके दोनों बेटे, अजय चौटाला और अभय चौटाला, ने उन्हें मुखाग्नि दी। उनके पोते दुष्यंत चौटाला, दिग्विजय चौटाला, कर्ण और अर्जुन चौटाला ने भी अंतिम संस्कार की रस्में निभाईं।

इस अवसर पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर, मुख्यमंत्री नायब सैनी, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा, और पंजाब के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर बादल समेत कई गणमान्य व्यक्तियों ने ओपी चौटाला को श्रद्धांजलि अर्पित की।

अंतिम संस्कार की खास बातें

पार्थिव देह को तिरंगे से लपेटा गया: ओपी चौटाला की पार्थिव देह को तिरंगे में लपेटा गया था, और सिर पर हरी तुर्रा पगड़ी और चश्मा पहनाया गया। हरी तुर्रा पगड़ी इनेलो पार्टी की पहचान और चश्मा चुनाव चिन्ह है।

समाधि स्थल की सजावट: अंतिम संस्कार स्थल को 12 क्विंटल फूलों से सजाया गया था, जिनमें 8 क्विंटल गेंदा और 2–2 क्विंटल गुलाब और गुलदाउदी के फूल थे। ये फूल कोलकाता से मंगाए गए थे। चिता के लिए लाल चंदन की लकड़ी का इस्तेमाल किया गया।

परिवार का समर्थन: ओपी चौटाला की पार्थिव देह को अंतिम संस्कार स्थल तक उनके दोनों बेटों अजय और अभय चौटाला ने कंधा दिया। उनके पोते और अन्य परिवार के सदस्य भी इस अंतिम यात्रा में शामिल हुए।

समर्थकों का श्रद्धा सैलाब: ओपी चौटाला की पार्थिव देह के पीछे चलते हुए उनके समर्थकों ने फूलों की बारिश की और ‘ओपी चौटाला अमर रहें’ के नारे लगाए।

ओपी चौटाला से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

पिता चौधरी देवीलाल के उत्तराधिकारी: ओपी चौटाला पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के पांच संतानों में सबसे बड़े थे। उनका जन्म 1 जनवरी 1935 को हुआ था, और वह 5 बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने।

शिक्षा का सफर: ओपी चौटाला ने प्रारंभिक शिक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी, ताकि उनके पिता से ज्यादा न पढ़ जाएं। जेल में रहने के दौरान 2017 से 2021 के बीच उन्होंने 10वीं और 12वीं की पढ़ाई की।

राजनीतिक यात्रा की शुरुआत: ओपी चौटाला ने 1968 में ऐलनाबाद से अपना पहला चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। बाद में, अदालत से चुनाव रद्द करवा कर 1970 में उपचुनाव में जीत हासिल की।

महम कांड और कंडेला कांड: उनके मुख्यमंत्री रहते दो प्रमुख कांड हुए। पहला महम कांड, जिसमें चुनावी हिंसा और बूथ कैप्चरिंग की घटना घटी, और दूसरा कंडेला कांड, जिसमें किसानों के प्रदर्शन के दौरान पुलिस गोलीबारी में 9 किसानों की मौत हो गई।

टीचर भर्ती घोटाला: 1999-2000 में ओपी चौटाला के मुख्यमंत्री रहते टीचर भर्ती घोटाला हुआ, जिसमें उन्हें और उनके बेटे अजय चौटाला को 10 साल की सजा हुई। हालांकि, बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया था।

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