चंडीगढ़: पंजाब भवन में आज 19 दिसंबर को राज्य के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह की अध्यक्षता में किसानों और कृषि विशेषज्ञों के साथ बैठक आयोजित की गई। बैठक का मुख्य उद्देश्य केंद्र सरकार द्वारा जारी कृषि विपणन नीति के मसौदे पर चर्चा करना था। यह नीति किसानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है, और इसे लेकर राज्य में गहन विचार-विमर्श जारी है।
किसानों की राय सुन रही सरकार
बैठक में किसान संगठनों के वरिष्ठ नेता, जिनमें जोगिंदर सिंह उगराहां, बलबीर सिंह राजेवाल और दर्शन सिंह शामिल हैं, ने अपनी राय प्रस्तुत की। किसान संगठनों ने मसौदे पर आपत्ति जताते हुए इसे किसानों के लिए हानिकारक बताया।
कृषि मंत्री ने बैठक के दौरान कहा कि केंद्र की नई नीति मौजूदा मंडी व्यवस्था को कमजोर कर सकती है, जिससे राज्य की कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान हो सकता है। उन्होंने कहा कि किसानों की राय को ध्यान में रखते हुए सरकार विधानसभा के शीतकालीन सत्र में इस मसले पर प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है। यह सत्र जनवरी के दूसरे सप्ताह में हो सकता है।
राज्यपाल से मिला किसान मोर्चा
इस बीच, संयुक्त किसान मोर्चा ने राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया से मुलाकात कर मांग की कि केंद्र की नई कृषि विपणन नीति को राज्य में लागू न किया जाए। किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने इस नीति को केंद्र के निरस्त तीन कृषि कानूनों को दोबारा लागू करने की कोशिश करार दिया।
किसान नेता जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा कि यह नीति किसानों के हितों के खिलाफ है और इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार इस नीति को लागू करने की कोशिश करती है, तो किसान सड़कों पर उतरकर संघर्ष करेंगे।