संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति के रूप में, विश्व प्रसिद्ध तबला वादक और पद्म विभूषण से सम्मानित उस्ताद जाकिर हुसैन का 73 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने सैन फ्रांसिस्को, अमेरिका में अंतिम सांस ली। उस्ताद जाकिर हुसैन को हृदय संबंधी समस्याओं के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उनका निधन हुआ।
एक महान विरासत के वाहक
उस्ताद जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को एक संगीत परिवार में हुआ। वह महान तबला वादक उस्ताद अल्लाह रक्खा के सबसे बड़े बेटे थे। उन्होंने अपने पिता से संगीत की शिक्षा ली और कम उम्र में ही संगीत जगत में अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी। उनकी अद्वितीय शैली और प्रतिभा ने उन्हें न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में लोकप्रिय बनाया।
पुरस्कार और सम्मान
उस्ताद जाकिर हुसैन को उनके असाधारण योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
1988: पद्म श्री
2002: पद्म भूषण
2023: पद्म विभूषण
इसके अतिरिक्त, उन्होंने अपने करियर में पांच ग्रैमी पुरस्कार जीते, जिनमें से तीन इस वर्ष की शुरुआत में 66वें ग्रैमी अवार्ड्स में प्राप्त हुए।
शास्त्रीय संगीत से लेकर फ्यूजन तक
जाकिर हुसैन ने न केवल भारतीय शास्त्रीय संगीत को नए आयाम दिए बल्कि फ्यूजन संगीत की दुनिया में भी अपनी छाप छोड़ी। उन्होंने कई अंतर्राष्ट्रीय कलाकारों के साथ काम किया और भारत के संगीत को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया।
संगीत जगत में शोक की लहर
उनके निधन की खबर से शास्त्रीय संगीत प्रेमियों और उनके प्रशंसकों के बीच शोक की लहर दौड़ गई है। सोशल मीडिया पर संगीतकारों, प्रशंसकों और विभिन्न क्षेत्रों के लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
उस्ताद जाकिर हुसैन का योगदान भारतीय संगीत के इतिहास में सदैव अमर रहेगा। उनके जाने से एक युग का अंत हो गया है, लेकिन उनकी संगीत विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेगी।