हरियाणा में राज्यसभा की खाली हुई सीट के लिए भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी रेखा शर्मा ने आज अपना नामांकन दाखिल किया। नामांकन के दौरान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ोली और हरियाणा सरकार के कई मंत्री एवं विधायक मौजूद रहे। रेखा शर्मा का निर्विरोध चुना जाना तय माना जा रहा है, क्योंकि भाजपा के पास बहुमत के लिए पर्याप्त संख्या बल है।
चौंकाने वाला फैसला
रेखा शर्मा का नाम राज्यसभा प्रत्याशी के रूप में घोषित करना राजनीतिक हलकों में एक चौंकाने वाला फैसला माना जा रहा है। वह राष्ट्रीय महिला आयोग की चेयरपर्सन के तौर पर अपनी प्रभावी भूमिका के लिए जानी जाती हैं, लेकिन राज्यसभा के संभावित उम्मीदवारों की सूची में उनका नाम पहले से नहीं था। भाजपा के वरिष्ठ नेता जैसे प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ोली, पूर्व सांसद संजय भाटिया और कुलदीप बिश्नोई भी दावेदारी में थे, लेकिन पार्टी ने दिल्ली से उनके नाम पर अंतिम मुहर लगाई।
20 दिसंबर को होगा चुनाव
राज्यसभा की यह सीट कैबिनेट मंत्री कृष्ण लाल पंवार के इस्तीफे से खाली हुई है। 20 दिसंबर को इस सीट के लिए चुनाव होना है। हालांकि, कांग्रेस ने उम्मीदवार न उतारने का फैसला किया है, जिससे रेखा शर्मा का निर्विरोध चुना जाना लगभग तय है। कांग्रेस के पास हरियाणा विधानसभा में 37 विधायक हैं, जबकि भाजपा के पास 48 विधायकों के साथ तीन निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी है।
रेखा शर्मा का राजनीतिक सफर
1964 में उत्तराखंड में जन्मी रेखा शर्मा ने पॉलिटिकल साइंस में डिग्री और मार्केटिंग व एडवरटाइजिंग में डिप्लोमा किया। उनका राजनीतिक करियर हरियाणा के पंचकूला से शुरू हुआ, जहां उन्होंने भाजपा की जिला सचिव और मीडिया विभाग का जिम्मा संभाला। उनकी मेहनत और कुशल नेतृत्व के चलते 2015 में उन्हें राष्ट्रीय महिला आयोग का चेयरपर्सन नियुक्त किया गया। उनके कार्यकाल को 2018 में फिर से बढ़ाया गया, और वह इस पद पर 9 वर्षों तक बनी रहीं।
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का आभार
नामांकन के बाद रेखा शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का आभार जताया। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने महिला सशक्तिकरण के लिए ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। मैं भी उनकी प्रेरणा से महिलाओं की प्रगति के लिए काम करती रहूंगी।”
कांग्रेस का पलड़ा हल्का
कांग्रेस की ओर से उम्मीदवार न उतारने का फैसला दूसरी बार लिया गया है। इससे पहले किरण चौधरी के राज्यसभा पहुंचने के दौरान भी कांग्रेस ने किसी को मैदान में नहीं उतारा था। इस बार भी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने स्पष्ट कर दिया था कि अगर दो सीटें होतीं, तो कांग्रेस दावेदारी पेश करती।